Kamal Nath: एक शेर है कि “कितने दिलों को तोड़ती है कम्बख़्त फरवरी, यू ही नहीं किसी ने इसके दिन घटाए हैं…”. मौजूदा दौर में ऐसा लगता है कि ये शायरी कांग्रेस पार्टी पर सटीक बैठती है. अतीत के पन्नों पर नज़र डालें तो ये पता चलता है कि ये वही फरवरी महीना है जिसने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था. कांग्रेस के साथ अपने लंबे सफर को विराम देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में शामिल हो कर सबको चौंका दिया था. चार वर्ष बाद ऐसा लगता है कि कहानी एक बार फिर वहीं आकर रुक गयी है. चर्चा का बाजार एक बार फिर गर्म है, अटकलें एक बार फिर तेज हैं कि कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं.
फरवरी 2020 में क्या हुआ था ?
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में गुना सीट पर मिली करारी हार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में हाशिए पर चले गए थे. वक्त के साथ ना उन्हें संगठन में कोई तवज्जो मिल रही थी, ना ही कमलनाथ सरकार में कोई उन्हें पूछ रहा था. इन सब के बीच उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का मन बना लिया. फरवरी 2020 में सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने की हवा तेज हो गयी और कुछ ही दिनों बाद होली से ठीक पहले अपने समर्थक मंत्री और विधायकों के साथ सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए. इस घटना का मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार पर बड़ा असर पड़ा. प्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और अंततः प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गयी.
4 साल बाद एक बार फिर संकट में कांग्रेस?
2020 में घटी बड़ी सियासी उथल-पुथल के बाद जहां एक तरफ प्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा, वहीं दूसरी तरफ चार साल बाद एक बार फिर कांग्रेस के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है. कमलनाथ के समर्थकों का कहना है कि जहां कमलनाथ, वहां हम. तमान बयानबाजी के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ का भाजपा में शामिल होने की सुगबुगाहट तेज है. हालांकि अब तक कमलनाथ ऐसी अटकलों को खारिज करते आए हैं. लेकिन अगर ऐसा होता है तो प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस में एक बार फिर बड़ी टूट होना निश्चित है.