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एमपी कांग्रेस में नेताओं की गंभीरता पर उठे सवाल – प्रचार शबाब पर आते ही प्रदेश में सिमटे स्टार प्रचारक जीतू, सेकेंड फेज से पहले पचमढ़ी आ गए राहुल गांधी

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बिहार चुनाव के बाद एमपी कांग्रेस नेताओं पर उठे सवाल

MP News: बिहार चुनाव परिणाम आने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस नेताओं के रवैये पर सवाल खड़े होने लगे हैं. चुनाव प्रचार चरम पर था, लेकिन इसी दौरान मध्य प्रदेश के कई नेता पचमढ़ी में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में शामिल रहे. पार्टी के भीतर अब यह चर्चा तेज हो गई है कि स्टार प्रचारक बनाए गए नेता चुनाव में सक्रिय क्यों नहीं रहे.

बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की चुनावी तैयारियों और गंभीरता को लेकर उठ रहे संदेह की झलक मध्य प्रदेश से साफ दिखाई दी. जहां कांग्रेस 61 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, वहीं इन सीटों पर प्रचार के लिए मध्य प्रदेश से दो नेताओं को स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया था. इस सूची में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम था.

जीतू पटवारी बिहार चुनाव प्रचार से रहे दूर

जीतू पटवारी बिहार में तभी तक सक्रिय रहे, जब तक चुनाव प्रचार शबाब पर नहीं पहुंचा था. जैसे-जैसे मतदान का समय नजदीक आया, वे पचमढ़ी में 2 से 11 नवंबर तक चले जिला अध्यक्षों के प्रशिक्षण शिविर में व्यस्त हो गए. इसी अवधि में बिहार में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को हुआ. इस दौरान पटवारी बिहार प्रचार में नहीं गए.

दिग्विजय सिंह भी थे बिहार चुनाव में स्‍टार प्रचारक

दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह स्टार प्रचारक के रूप में बिहार तो पहुंचे, लेकिन उनकी सक्रियता गया और औरंगाबाद जिलों तक ही सीमित रही. उनकी यह सीमित मौजूदगी भी कांग्रेस की चुनावी रणनीति को लेकर सवाल खड़े कर रही है.

राहुल गांधी भी रहे बैठकों में व्‍यस्‍त

कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाले राहुल गांधी भी बिहार चुनाव के चरम दौर में पचमढ़ी पहुंच गए. 8 और 9 नवंबर को, जब बिहार में दूसरे चरण की वोटिंग का माहौल अपने चरम पर था, राहुल गांधी मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में संगठनात्मक बैठकों में शामिल होते रहे.

सीएम ने कांग्रेस पर कंसा तंज

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस स्थिति पर तीखा तंज कसते हुए कहा था कि बिहार में चुनाव चल रहे हैं और राहुल गांधी मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में घूम रहे हैं. यही उनकी चुनावों को लेकर गंभीरता दर्शाती है.

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इधर कांग्रेस के भीतर भी यह चर्चा तेज है कि जब मध्य प्रदेश से दो नेताओं की आधिकारिक तरीके से ड्यूटी लगाई गई थी, तो फिर वे प्रचार में शामिल क्यों नहीं हुए. पार्टी पदाधिकारियों का मानना है कि नेताओं ने इस जिम्मेदारी को लेकर अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखाई.

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