MP News: मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के ‘मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट'(MoA) पर हस्ताक्षर की सहमति बन गई. इससे पहले ‘मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग’ (MoU) पर सहमति बन चुकी है. एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने साइन किए. यह परियोजना दोनों राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण वाटर मैनेजमेंट योजना के रूप में उभरी है, जो कृषि, पेयजल और औद्योगिक जल आपूर्ति में सुधार लाने का काम करेगी.
#BreakingNews : पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के MoU पर MP और राजस्थान के CM ने किए साइन…@DrMohanYadav51 @BhajanlalBjp #MadhyaPradesh #Rajsthan #mou #RiverLinking #VistaarNews @rasika_pandey @amrit2tweet pic.twitter.com/YB6ZR41Aap
— Vistaar News (@VistaarNews) December 5, 2024
प्रदेश के 11 जिलों को लाभ मिलेगा
इससे प्रदेश के 11 जिलों गुना, शिवपुरी, सीहोर, देवास, राजगढ़, उज्जैन, आगर-मालवा, इंदौर, शाजापुर, मंदसौर और मुरैना को लाभ मिलेगा. 2 हजार 94 गांवों में सिंचाई व्यवस्था को बेहतर बनाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के तहत लगभग 6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी. इसके साथ ही पेयजल और औद्योगिक आपूर्ति के लिए जल भी उपलब्ध होगा.
75 हजार करोड़ रुपये लागत आएगी
इस प्रोजेक्ट की लागत 75 हजार करोड़ रुपये आएगी. इसके तहत मध्य प्रदेश में 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे. इनकी लागत लगभग 36 हजार 800 करोड़ रुपये अनुमानित है. परियोजना से राज्य के लगभग 6.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. जिससे लगभग 40 लाख किसान परिवारों लाभ होगा.
ये भी पढ़ें: इंदौर, धार समेत 12 ठिकानों पर IT की छापेमारी, दिल्ली और भोपाल के अधिकारी सर्चिंग में शामिल
इन नदियों को शामिल किया जाएगा
पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना का उद्देश्य इन नदियों का अधिकतम जल उपयोग करना है. इसमें पार्वती, कूनो, कालीसिंध, चंबल, क्षिप्रा और अन्य सहायक नदियों का जल शामिल होगा. केंद्र सरकार के सहयोग से बनने वाली इस परियोजना का कार्य आगामी 5 सालों में पूरा किया जाएगा. इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच मौजूदा चंबल दायीं तट मुख्य नहर (CRMC) सिस्टम का रिनोवेशन और मॉडर्नाइजेशन किया जाएगा. इसका लाभ श्योपुर, मुरैना, और भिण्ड जिलों के किसानों को सिंचाई और पेयजल के रूप में मिलेगा.
इस परियोजना के डीपीआर (DPR) के लिए 28 जनवरी 2024 को एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए. परियोजना की सफलता के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री और जल शक्ति मंत्रालय के मंत्री, साथ ही दोनों राज्यों के अपर मुख्य सचिव और सचिव भी शामिल हुए. मध्य प्रदेश शासन द्वारा इस परियोजना की डीपीआर (DPR) तैयार की गई है, और अब इसे राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण, भारत सरकार को भेजा जा चुका है. इसके साथ ही 25 अक्टूबर 2024 को मध्य प्रदेश ने भारत सरकार से इस परियोजना के ड्राफ्ट समझौता अनुबंध (MoA) में संशोधन का अनुरोध किया था.