Kuno National Park: कूनो नेशनल पार्क के चारों ओर लगभग 1100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने की तैयारी पूरी हो गई है. संबंधित विभागों द्वारा क्षेत्र का निर्धारण कर प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है. अब केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी. प्रस्तावित क्षेत्र में फिलहाल नेशनल पार्क के बफर जोन का लगभग 1028.57 वर्ग किलोमीटर हिस्सा भी शामिल किया गया है.
114 गांवों को लेनी होगी कॉमर्शियल निर्माण के लिए अनुमति
इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत आने वाले इलाके में कुल 114 गांव शामिल होंगे. इन गांवों में किसी भी तरह का कॉमर्शियल निर्माण कार्य संभागायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुमति से ही किया जा सकेगा. इस जोन में करीब 741 वर्ग किलोमीटर वनभूमि और 359 वर्ग किलोमीटर राजस्व भूमि होगी.
पहले राजस्व भूमि पर नहीं थी निर्माण के लिए रोक
अभी तक पार्क के बाहर के जंगलों को बफर जोन कहा जाता है. यहां वनभूमि पर तो निर्माण प्रतिबंधित रहता है, लेकिन राजस्व भूमि पर कोई रोक नहीं होती. इको सेंसिटिव जोन घोषित होने के बाद राजस्व भूमि पर भी निर्माण कार्य निर्धारित मानकों के अनुरूप ही हो सकेगा.
राज्य सरकार से मिल चुकी मंजूरी
कूनो पार्क प्रशासन और राजस्व विभाग ने मिलकर क्षेत्र का निर्धारण पूरा कर लिया है और राज्य सरकार से इसकी मंजूरी मिल चुकी है. केंद्र की अधिसूचना जारी होते ही पार्क की सीमाओं से 2 किलोमीटर से लेकर कुछ हिस्सों में 15 किलोमीटर तक का क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन के दायरे में आएगा, जहां किसी भी निर्माण कार्य के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य होगी.
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खाने और रहने के लिए कार्य पहले की तरह ही चलते रहेंगे
इस इको सेंसिटिव जाेन में गांव के लोगों के रहने-खाने की जगहें भी शामिल है, लेकिन इस पर विभाग का कहना है कि ग्रामिणों को रहने और खाने के कार्यो में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. ये व्यवस्थाएं जैसे चल रही थी वैसे ही चलती रहेंगी. केवल पार्क वाले इलाके में कमिश्नर की अध्यक्षता वाली समिति से कॉमर्शियल कार्य की अनुमति लेनी होगी.
