Gwalior Film Festival: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया. इस फेस्टिवल में 600 लघु फिल्म, कैंपस फिल्म और डॉक्यूमेंट्री की एंट्री हुई. इन फिल्मों में से भोपाल के आशीष मिश्रा की शॉर्ट फिल्म ‘कहानी’ को दूसरा स्थान मिला. ये शहर के लिए गर्व का विषय है. शॉर्ट फिल्म को दूसरा स्थान मिलने पर उन्होंने कहा कि बहुत गर्व और खुशी का अनुभव हो रहा है.
‘संजय मिश्रा के साथ ही काम किया’
फिल्म को पुरस्कार मिलने पर आशीष मिश्रा ने कहा कि मैं इस सम्मान के लिए बहुत गर्व और खुशी महसूस कर रहा हूं. मुझे फिल्में बनाना और फिल्म उद्योग में काम करना बहुत पसंद है. हाल ही में मैंने फिल्म इंडस्ट्री के शानदार कलाकार संजय मिश्रा के साथ एक फिल्म में काम किया है. उन्होंने आगे बताया कि मैंने नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और कई अन्य प्लेटफॉर्म के लिए भी काम किया है.
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IITTM में इस फेस्टिवल का आयोजन किया गया
ग्वालियर फिल्म फेस्टिवल का आयोजन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट कॉलेज (IITTM) में 8 और 9 मार्च को किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन मध्य प्रदेश सरकार में संस्कृति और पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने किया. एक्टर समर जयसिंह, डायरेक्टर और स्क्रीनप्ले राइटर देवेंद्र मालवीय, डायरेक्टर और निर्माता विनोद तिवारी, इतिहासकार श्रीधर प्रधान, डायरेक्टर अतुल गंगवार और फिल्म क्रिटिक्स विनोद नागर आदि शामिल हुए.
आशीष मिश्रा हैं फिल्म के डायरेक्टर
‘कहानी’ शॉर्ट फिल्म का निर्देशन भोपाल के आशीष मिश्रा ने किया है. इस शॉर्ट फिल्म के DoP और एडिटर विजय बोड़के हैं और फिल्म के लिए म्यूजिक तनिष्क भूरिया ने दिया है.
क्या कहती है फिल्म?
एक प्रसिद्ध लेखक, जो अपनी असाधारण कहानी सुनाने के लिए जाना जाता है, समाज में एक परोपकारी के रूप में दिखाई देता है. हालांकि, उसके बाहरी आवरण के नीचे, वह खाली और उदासीन है, जो अपने आसपास की दुनिया से अनजान है. एक दिन, वह एक बलात्कार पीड़िता की मदद की गुहार को अनसुना कर देता है, जिससे उसका असली स्वरूप उजागर होता है. पीड़िता, जो अब एक भूत है.
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लेखक का सामना करती है और उसके दोहरेपन और उथले अस्तित्व को उजागर करती है. इस मुठभेड़ के माध्यम से लेखक को अपने सार्वजनिक छवि और अपने वास्तविक स्वरूप के बीच के अंतर का सामना करना पड़ता है.
ये है फिल्म का मैसेज
यह कहानी समाज को एक शक्तिशाली संदेश देना चाहती है. सच्चा बदलाव हमारे भीतर से आता है. हमारे कार्यों से अधिक हमारे शब्दों का महत्व है. यह व्यक्तियों को अपने स्वयं के दोहरेपन पर विचार करने और दूसरों की मदद करने के लिए एक वास्तविक प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करती है, ना कि केवल दिखावे के लिए.
