Baba Bageshwar: प्रसिद्ध कथावाचक और बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) करीब एक महीने की विदेश यात्रा के बाद वापस लौट आए हैं. छतरपुर (मध्य प्रदेश) लौटते ही उन्होंने उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक के साथ हुई घटना प्रतिक्रिया देते हुए उसे निंदनीय बताया. साथ ही अपने बयान में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का बिना नाम लिए उनके अंडरटेबल पैसे लेने वाले बयान पर भी पलटवार किया.
‘ईश्वर करे उनकी रोटी पचती रहे’
छतरपुर वापस लौटे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ‘आज तक’ से बातचीत करते हुए कहा- ‘हमारे जीवन में बोलने से ज्यादा सहना पड़ता है. मैंने एक बार कहा था- आ बैठ मेरे पास, मैं तुझे जीना सिखाता हूं, कुछ क्षण तो मेरे साथ गुजार, मैं तुझे दुख दर्द पीना सिखाता हूं, मैं बातों से नहीं, रातों से लड़ा, मैं सह-सहकर साधु बना, इसलिए मैं यहां हूं खड़ा. यह जीवन बड़ा कठिन और चुनौतियों से भरा है. हमारे ऊपर टिप्पणी करने वालों की रोटी पच रही है, भगवान करें उनकी रोटी पचती रहे. हम तो सनातन के लिए जिएंगे और सनातन के लिए मरेंगे, हिंदुओं के लिए जिएंगे और हिंदुओं के लिए मरेंगे.’
धीरेंद्र शास्त्री अंटडर टेबल लेते हैं पैसे: अखिलेश
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री पर बड़ा आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था- ‘धीरेंद्र शास्त्री एक कथा के लिए 50 लाख रुपए लेते हैं. धीरेंद्र शास्त्री इतने महंगे हैं कि कोई गरीब व्यक्ति उनसे कथा नहीं करा सकता. उनकी फीस इतनी ज्यादा है कि कोई उनसे सवाल करने की हिम्मत नहीं करता है. कई कथावाचक लाखों रुपए अंडर टेबल लेते हैं. पता करवा लीजिए कि धीरेंद्र शास्त्री अंडरटेबल नहीं लेते हैं क्या…?’
इटावा में कथावाचक के साथ दुर्व्यवहार
21 जून को इटावा के गांव दादरपुर में भागवत कथा का आयोजन किया गया था. यहां कथावाचक मुकुट मणि यादव ने कथा सुनाई थी. आरोप है कि कथावाचक ने खुद को ब्राह्मण बताया लेकिन जाति का पता लगने पर ग्रामीण भड़क गए थे और कथावाचकों के साथ मारपीट की. इस मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है. लेकिन, अब महिलाओं द्वारा छेड़खानी का आरोप लगाने के बाद यह मामला तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है.
‘भगवान की कथा कहने का सबको अधिकार’
इस घटना को लेकर कुछ दिनों पहले पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था- ‘भगवान वेदव्यास, महर्षि वाल्मीकि, मीरा, सूरदास और कबीरदास सभी भगवान के रंग में रंगे थे. किसी ने इनकी ना जाति पूछी और ना पता पूछा. इनकी वीणी ही इनकी पहचान बन गई. भगवान का नाम ही इनकी पहचान बना. कौआ कर्कश बोलता है, लेकिन रामचरिमानस में कालभुशुंडी महाराज की महिमा हैं, इसलिए जाति ना पूछो जाति की, पूछ लीजिए ज्ञान. भगवान की चर्चा करने और भगवान की कथा कहने का अधिकार सबको है. कोई इसमें दोषी नहीं है, ना ही कोई हस्तक्षेप है.’
