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Balaghat: डफली की थाप और बांसुरी की तान पर थिरके बाराती, बैलगाड़ी पर निकली अनोखी बारात

The wedding procession was taken out on a bullock cart in Balaghat

बालाघाट में बैलगाड़ी पर निकाली गई बारात

Balaghat News: शादी और बारात के लिए लोग नए-नए तरीके अपनाते हैं. कोई हेलीकॉप्टर से दुल्हनिया ले जाता है तो कोई ट्रैक्टर पर बारात ले जाता है. मध्य प्रदेश के बालाघाट की बारात वायरल हो रही है. जिसमें डीजे की जगह डफली और दूल्हे की कार या घोड़ी की जगह बैलगाड़ी इस्तेमाल की गई. अक्सर देखा जाता है कि आज के समय में जब भी कोई सांस्कृतिक आयोजन होते या धार्मिक आयोजन उसमें आधुनिकता की झलक होती है, खास कर शादी विवाह में लोग इस चकाचौंध से भरी दुनिया में शादी विवाह में जमकर पैसा खर्च करते हैं.

सिर्फ डीजे, लाइटिंग, पंडाल, बड़े-बड़े लॉन, रिसॉर्ट, पार्क में ही ना जाने कितने पैसे खर्च हो जाते हैं, लेकिन बालाघाट जिले के आगरवाड़ा गांव में एक बारात निकली जिसमें न तो आधुनिकता की झलक थी और न कोई चकाचौंध. जी हां पुराने जमाने में बारात बैलगाड़ी पर निकाली जाती थी. बैल और बैलगाड़ी को काफी अच्छे से सजाया जाता था और बांसुरी की धुन और डफली की थाप पर बाराती जमाकर थिरकते थे तरह तरह के पोशाक पहनकर लोग थिरकते दिखते थे.

बैलगाड़ी से निकाली गई 10 किमी बारात

ठीक उसी तरह बालाघाट के आगरवाड़ा से खड़गपुर तक बैल गाड़ी से बारात निकाली गई और यह सफर लगभग 10 किमी का था. इस 10 किमी के सफर में जिसने भी इस बारात को देखा वह देखते ही रहा गया. इस बारात में दर्जनों बैल गाड़ियां थीं. बैलगाड़ी और बैलों को खास तरीके सजाया गया था. बैलों के गले में घुंघरू और बैलगाड़ी के ऊपर छत मानो किसी राजा-महाराजा की शाही सवारी के ठाठ को प्रदर्शित कर रही थी. बारात के इस अनूठे दृश्य में रंग-बिरंगी बैलगाड़ियां, डपली और बांसुरी की तान तथा पारम्परिक नृत्य को जिसने भी देखा वह मंत्रमुग्ध हो उठा.

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‘शादी को यादगार बनाना था’

ठाकरे परिवार की इस बारात में प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिली. जहां बांसुरी की तान और डफली की थाप पर लोग थिरकते दिख रहे थे. दूल्हे नीलेश ठाकरे ने बताया कि उन्हें कुछ अलग करना था और अपनी शादी को यादगार बनाना था. इसी वजह से उन्होंने बैलगाड़ी से बारात ले जाने का फैसला किया. वहीं, दुल्हे की मां ने बताया कि हमारी शादी भी ऐसे ही हुई थी. ऐसे में हम अपने बेटे की भी शादी उस तरह पूरे रीति-रिवाजों से कर रहे है. शादी का आयोजन आज के दौर में एक-दो दिन तक सिमट गया है. लेकिन यहां पूरे पांच दिनों तक शादी का आयोजन पूरे रस्मों-रिवाज के साथ देखने मिला.

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