Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस पीड़ितों को लेकर आए जबलपुर हाई कोर्ट के फैसले ने कई बड़े अधिकारियों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. कोर्ट ने पीड़ितों को समय पर सही इलाज और शोध की व्यवस्था ना देने के आरोप में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस समेत 9 अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कदम उठाने और न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.
केंद्र और राज्यों दोनों के अधिकारियों पर कार्रवाई
हाई कोर्ट के फैसले में केंद्र और राज्य दोनों के अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. इनमें भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण, भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के सचिव आरती आहूजा, तत्कालीन मुख्य सचिव मध्यप्रदेश इकबाल सिंह बैंस, अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान, राज्य सूचना अधिकारी अमरकुमार सिन्हा, NICSI विनोद कुमार विश्वकर्मा, भोपाल मेमोरियल के डायरेक्टर डॉ. प्रभा देसिकान और नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एनवायर्नमेंटल हेल्थ के संचालक डॉ. आरआर तिवारी के नाम शामिल है.
क्या है कोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है, “यह स्पष्ट है कि 10.5 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इन अधिकारियों ने निर्देशों का पालन करने में कोई ईमानदारी नहीं दिखाई है. गैस पीड़ितों को अधर में छोड़ दिया जा रहा है. आप लोगों ने आदेश का मजाक बना दिया है. कोर्ट को पीड़ितों के प्रति आपकी असंवेदनशीलता नजर आती है.”
कोर्ट के आदेश का स्वागत
गैस पीड़ितों के लिए लंबे समय से काम कर रही रचना ढिंगरा ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ये आदेश सब के लिए मिसाल बनाना चाहिए. इन अधिकारियों के कारण पीड़ितों की स्वास्थ्य व्यवस्था बर्बाद हो गई है, इसलिए इन सभी को सख्त सजा होनी चाहिए.