Bhopal Metro: भोपाल मेट्रो पटरी पर दौड़ने लगी है लेकिन सवाल ये है कि क्या सिस्टम भी ट्रैक पर है. जिस मेट्रो को शहर के ट्रैफिक का भविष्य बताया जा रहा है, उसी का टिकट सिस्टम इतनी बड़ी खामी से जूझ रहा है कि एक ही टिकट पर कोई भी व्यक्ति बार-बार सफर कर सकता है. चार दिन पहले 20 दिसंबर को भोपाल मेट्रो सिटी बना. 21 दिसंबर से मेट्रो ने रफ्तार पकड़ी, जिसे लेकर लोगों में खूब उत्साह दिखा. अब यही उत्साह भारी पड़ रहा है. भोपाल मेट्रो में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है. जिसके बाद मेट्रो प्रशासन की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है.
सफर के दौरान नहीं हुई टिकट चेकिंग
विस्तार न्यूज ने इस पूरे मामले की तहकीकात करने के लिए ट्रेन में सफर किया. सफर की शुरुआत बोर्ड ऑफिस मेट्रो स्टेशन से हुई. टिकट काउंटर से बोर्ड ऑफिस से सुभाष नगर के लिए 2 टिकट खरीदे. इसके बाद हम प्लेटफॉर्म की ओर बढ़े लेकिन कहीं टिकट की चेकिंग नहीं हुई. केवल एक जगह सुरक्षा जांच की गई. शाम 4 बजकर 48 मिनट पर हम मेट्रो में सवार हुए. शाम 4 बजकर 55 मिनट पर सुभाष नगर मेट्रो स्टेशन पर उतर गए लेकिन, पूरे सफर के दौरान कहीं कोई टिकट की जांच नहीं की गई.
बिना टिकट यात्रा की
सफर के दौरान न कोई टिकट चेकर मिला, न कोई चेकिंग सिस्टम. यहीं से सबसे बड़ी गड़बड़ी की शुरुआत होती है. जिसकी पड़ताल के लिए हम खुद बिना टिकट लिए मेट्रो में चढ़ गए. इस बार सुभाष नगर से केंद्रीय विद्यालय तक का सफर तय किया. वो भी बिना टिकट लिए यानी गुनाह तो किया लेकिन, इसे रोकने वाले जिम्मेदार गायब थे. जिम्मेदार न तो ट्रेन में मिले, न प्लेटफॉर्म पर और न ही स्टेशन पर फिर भी हम डर में थे कि कहीं टिकट चेक न हो जाए. धीरे-धीरे बाहर निकल रहे थे. गेट पर सुरक्षा गार्ड मिला. जिसने टिकट तो मांगा लेकिन, उसे भी जेब में रख लिया. न कोई पूछताछ की, न टिकट देखा, खैर ये काम गार्ड का नहीं है.
तहकीकात में हमने बताया कि टिकट के नाम पर कैसे मेट्रो को चूना लगाया जा रहा है. हमने बोर्ड ऑफिस से सुभाष नगर के लिए दो टिकट खरीदे. जो 40 रुपये की थी लेकिन उसके बाद भी हम सुभाष नगर से केंद्रीय विद्यालय फ्री में आ गए.
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ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन गेट बंद
सबसे अहम ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन गेट बंद हैं. टिकट का कोई डिजिटल वेरिफिकेशन नहीं है. इसके अलावा टिकट की स्टाम्प पर निर्भरता और उस पर हाथ से लिखी तारीख और समय है. जिससे राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. मेट्रो तो पटरी पर दौड़ रही है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कैबिन से शायद बाहर नहीं निकले हैं. तभी तो मेट्रो शुरू हुए 4 दिन ही बीते हैं कि खामियां उजागर होने लगी है.
