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MP News: तीन जिलों में कार्बाइड गन बैन, भोपाल में FIR , ग्वालियर में एक गिरफ्तार, घायलों की संख्या 316 पहुंची

Carbide gun incident: The number of injured has risen to 316, and an FIR has been registered in Bhopal

कार्बाइड गन (सांकेतिक तस्वीर)

MP News: कार्बाइड गन मामले में पूरे प्रदेश में माहौल गर्माया हुआ है. अब इस मामले में प्रशासन ने कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. राजधानी भोपाल में इसके निर्माण, भंडारण और बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है. एक व्यक्ति के अवैध पटाखा विक्रय के आरोप में बीएनएस की धारा 288 के तहत मामला दर्ज किया गया है. कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने गुरुवार (23 अक्टूबर) को हमीदिया अस्पताल में भर्ती घायलों से मुलाकात की. इसके साथ ही 5-5 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मौके पर ही उपलब्ध करवाई. पूरे प्रदेश की बात करें तो कार्बाइड गन से घायलों होने वालों की संख्या 316 हो गई है.

तीन जिलों में लगाया प्रतिबंध

खतरनाक कार्बाइड गन पर भोपाल, ग्वालियर और विदिशा में बैन लगा दिया गया है. अब तक इस मामले में भोपाल में दो और ग्वालियर में एक FIR दर्ज की गई है. भोपाल के निशातपुरा थाने में एक मामला दर्ज किया गया है कि जिसमें विस्फोटक अधिनियम और BNS की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. यहां से 10 किलो कार्बाइड और 4 पाइप गन बरामद की गई हैं. एक अन्य मामला बाग सेवनिया थाने में दर्ज किया गया है, जहां एक युवक के पास से 43 कार्बाइड गन बरामद की गई है. ग्वालियर से भी एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है.

लापरवाही बर्दाश्त नहीं – डिप्टी सीएम

डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने शुक्रवार को हमीदिया अस्पताल पहुंचकर घायलों से मुलाकात की. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करके लिखा कि आज (24 अक्टूबर) भोपाल स्थित हमीदिया चिकित्सालय पहुंचकर कार्बाइड गन से घायल हुए युवाओं एवं बच्चों का हालचाल जाना. चिकित्सकों से घायलों के उपचार की विस्तृत जानकारी प्राप्त की और उनके स्वास्थ्य की सतत मॉनिटरिंग के निर्देश दिए.

उन्होंने आगे लिखा कि सभी घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. अवैध रूप से पटाखा निर्माण या विस्फोटक सामग्री रखने वालों के विरुद्ध कठोर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.

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इस तरह बनती है कार्बाइड गन?

विशेषज्ञों के मुताबिक, कार्बाइड गन बच्चे घर पर माचिस की तीलियों और बारूद को मिलाकर प्लास्टिक या टीन के ट्यूब में भरकर तैयार करते हैं. धमाके के वक्त निकलने वाले धातु के कण और छर्रे सीधा आंखों पर लगते हैं, जिससे कई बार पुतली फटने जैसी स्थिति बन जाती है और तुरंत सर्जरी करनी पड़ती है.

डॉक्टरों और अधिकारियों का कहना है कि इस खतरनाक ट्रेंड के पीछे सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पटाखा गन चैलेंज जैसे वीडियो जिम्मेदार हैं. बच्चे इन वीडियो से प्रेरित होकर घरों में ही ऐसे प्रयोग कर रहे हैं और अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं.

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