MP News: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गुरुवार को नर्मदा नदी में मगरमच्छ छोड़े. खंडवा जिले के नर्मदानगर में सीएम ने 6 मगरमच्छों को नर्मदा नदी में छोड़ा. मीडिया से बात करते हुए सीएम ने कहा कि थलचर, नभचर और जलचर सभी अपना जीवन स्वच्छंद रूप से जीवन व्यतीत करते हैं. चीता पूरे एशिया से विलुप्त हो गया था. इसके पुनर्वास का कई जगह प्रयास किया गया. मध्य प्रदेश में कूनो पालपुर और गांधीसागर में बसाया गया है. नौरादेही प्रदेश का तीसरा चीता अभ्यारण्य बनेगा. नामीबिया और दूसरे देशों से चीते लाकर बसाए जाएंगे.
उन्होंने आगे कहा कि आज ओंकारेश्वर आने का मौका मिला. नर्मदा नदी में 6 मगरमच्छ छोड़ने का मौका मिला. जबलपुर के बरगी डैम से लेकर आलीराजपुर तक नर्मदा नदी में मगरमच्छ मिलते हैं. मगरमच्छ नदी को स्वच्छ रखता है और इको सिस्टम को बनाए रखने में मदद करता है. चार मादा और दो नर नदी में छोड़े गए हैं. इस मौके पर सीएम ने प्रदेशवासियों को बधाई भी दी है.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नर्मदानगर, जिला खंडवा में मां नर्मदा के पवित्र तट पर जलीय वन्यजीव संरक्षण के उद्देश्य से मगरमच्छों को नर्मदा नदी के जल में छोड़ा।
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) October 30, 2025
यह पहल पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होने के साथ ही नर्मदा नदी में जैव विविधता संवर्धन के संकल्प का… pic.twitter.com/zLzdW2gr6h
‘संरक्षण ही सच्ची पर्यावरण सेवा’
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी प्रकार के वन्यजीव प्रकृति की अनुपम रचना हैं, इनका संरक्षण ही सच्ची पर्यावरण सेवा है. प्रदेश में वन्य जीवों के साथ ही घड़ियाल, मगरमच्छ जैसे सभी प्रकार के जलीय जीवों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. उल्लेखनीय है कि गत वर्ष चंबल नदी में घड़ियाल छोड़े गए थे.
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एमपी में 1876 मगरमच्छ
वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में 1876 मगरमच्छ हैं. संरक्षण और विशेषज्ञों की निगरानी में इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके अलावा राज्य की अलग-अलग नदियों सोन, केन, चंबल, सिंध और चंबल में घड़ियालों के संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. देश के 80 फीसदी से ज्यादा घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं. पिछले साल चंबल में घड़ियालों को छोड़ा गया था.
