Vistaar NEWS

MP: बुरहानपुर के सरकारी स्कूल में बच्चों से झाड़ू लगवाया, टीचर बोले- चपरासी नहीं है

Children are being made to sweep in government schools.

सरकारी स्कूल में बच्चों से झाड़ू लगवाया जा रहा है.

Burahanpur News: बुरहानपुर में जिला प्रशासन चाहें जितने भी दावे कर ले कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हो रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. जिले के ग्राम पतोंडा स्थित शासकीय हाई स्कूल से एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है, जहां छोटे-छोटे छात्र-छात्राओं से पढ़ाई से पहले झाड़ू लगवाया जा रहा है. इस प्रकार की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि शिक्षा व्यवस्था की हालत कितनी बदहाल हो चुकी है.

बच्चे बोले- हर रोज झाड़ू लगाना पड़ता है

ग्राम पतोंडा के इस शासकीय हाई स्कूल में सुबह जब छात्र स्कूल पहुंचते हैं, तो सबसे पहले उन्हें झाड़ू पकड़ाकर स्कूल की सफाई करवाई जाती है. छात्र पढ़ाई से पहले साफ-सफाई करते हैं और फिर अगर समय बचा तो कहीं जाकर पढ़ाई की प्रक्रिया शुरू होती है. स्कूल के बच्चे कहते हैं कि रोज हमें झाड़ू लगाने को कहते हैं. यह दृश्य सिर्फ इस एक विद्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि बुरहानपुर जिले के कई अन्य स्कूलों में भी बच्चों से ऐसे कार्य करवाए जा रहे हैं.

जिम्मेदार कौन?

इस संबंध में जब स्कूल शिक्षकों से बात की गई तो उन्होंने कहा, पियून की नियुक्ति नहीं है. कभी हम खुद साफ-सफाई करते हैं, और कभी बच्चों को करना पड़ता है. कई बार पंचायत और शिक्षा अधिकारियों को अवगत कराया गया है, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ है.

यह लापरवाही केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं है, बल्कि जिम्मेदार अधिकारी भी इस पूरे मामले से अनजान बने हुए हैं. जब शिक्षा अधिकारी से फोन पर बात की गई तो उन्होंने टालमटोल करते हुए कहा, मैं अभी फील्ड पर हूं, आकर देखता हूं. उनके इस बयान से साफ है कि बच्चों के भविष्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं को लेकर अधिकारी कितने असंवेदनशील हैं.

बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

बच्चों से झाड़ू लगवाना और स्कूल की सफाई करवाना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह उनके मानसिक और शैक्षणिक विकास में भी बाधा उत्पन्न करता है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) यह स्पष्ट करता है कि विद्यालय में किसी भी छात्र से किसी प्रकार का श्रम कार्य नहीं करवाया जा सकता. फिर भी जिले में यह खुलेआम हो रहा है.

शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त

ग्राम पतोंडा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा पहले से ही कई समस्याओं से जूझ रही है. जैसे योग्य शिक्षकों की कमी, संसाधनों की अनुपलब्धता, भवनों की जर्जर हालत और अब बच्चों से श्रम कराना. इन हालातों में सरकार के शिक्षा सुधार के दावे महज कागजी लगते हैं.

यह मामला उजागर करता है कि जिले के शिक्षा विभाग की निगरानी व्यवस्था कितनी कमजोर है. ना तो कोई निरीक्षण हो रहा है, ना ही लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है.

समाज का भी मौन समर्थन?

सबसे दुखद बात यह है कि समाज और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी भी इस समस्या को और गंभीर बना रही है. जब तक अभिभावक, जनप्रतिनिधि और समाज के जागरूक नागरिक आगे नहीं आएंगे, तब तक बच्चों से झाड़ू लगवाने जैसे अमानवीय कृत्य बंद नहीं होंगे.

ये भी पढ़ें: MP: मानव तस्करी करने वाले गिरोह का खुलासा, पौने 3 लाख रुपये में राजस्थान में लड़की का सौदा किया, 2 आरोपी गिरफ्तार


Exit mobile version