Bhopal News: कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने फर्जी दस्तावेज मामले में आरिफ मसूद पर एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा था. मसूद पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. उच्च न्यायालय ने तीन दिनों का समय दिया था और पुलिस महानिदेशक को एसआईटी गठित करके जांच करने के आदेश भी दिए थे.
क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज के दस्तावेजों की जांच की और 9 जून को मान्यता निरस्त करने का आदेश दे दिया. जांच में सामने आया कि ये कॉलेज अमन सोसाइटी के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है. इसकी मान्यता के लिए पहली सेल डीड 2 अगस्त 1999 को जमा की गई थी.
आरिफ मसूद पर की जा रही कार्रवाई की सारी जड़ यहीं सेल डीड है. इसमें फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जा रहा है. दूसरी सेल डीड जमा करने का मौका दिया गया था. राजस्व अभिलेख में नदारद दूसरी सेल डीड की दो दशक तक किसी ने जांच नहीं की. उसी के आधार पर कॉलेज संचालित होता रहा.
SIT को 90 दिनों में देनी होगी रिपोर्ट
कांग्रेस विधायक पर केस दर्ज करने के साथ-साथ हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एसआईटी गठित करके रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था. एडीजी संजीव शमी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआईटी जांच करेगी. एसआईटी को 90 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करना होगा.
मान्यता रद्द करने के फैसले पर रोक
इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज की मान्यता रद्द करने को लेकर आरिफ मसूद ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. मान्यता रद्द करने को लेकर चुनौती दी थी. फिलहाल कॉलेज में एक हजार ज्यादा छात्र पढ़ रहे हैं. कोर्ट ने छात्रों के हित में फैसला लेते हुए, मान्यता रद्द करने के फैसले पर रोक लगा दी है.
आरिफ मसूद को हो सकती है 10 साल की जेल
इस पूरे मामले में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद को 10 साल की जेल हो सकती है. भारतीय दंड संहिंता की धारा-420, 467, 468 और 471 के मामला दर्ज किया गया है. इसके साथ ही धारा-120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है.
