Bhopal: एमपी विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी ने जिन छह सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा था उनमें से एक सीट है दमोह. इस लोकसभा सीट पर दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को चुनाव होना है. इस लोकसभा सीट में तीन जिलों की आठ विधानसभा आती हैं. सागर जिले की देवरी, रेहली, बंडा; छतरपुर की मलहरा और दमोह जिले की पथरिया, दमोह, जबेरा, हटा शामिल हैं.
बीजेपी ने नए उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. राहुल लोधी को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को अपना प्रत्याशी बनाया है.
आइए जानते हैं दोनों उम्मीदवारों के बारे में –
राहुल लोधी – बीजेपी उम्मीदवार
संपत्ति – एक करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य(0)
राहुल सिंह लोधी को बीजेपी ने दमोह लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. जमीनी राजनीति से जुड़े नेता हैं. अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पंचायत से शुरू की. दमोह जिला पंचायत के सदस्य रहे. साल 2018 में हुए एमपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राहुल लोधी को टिकट दिया. लगातार छह बार के विधायक रहे जयंत मलैया को हरा दिया. इस चुनाव में राहुल सिंह लोधी को 78 हजार 997 वोट और जयंत मलैया को 78 हजार 199 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर मात्र 798 वोट रहा.
इस चुनाव में राहुल लोधी राजनीति का उभरता सितारा बनकर सामने आए. छह बार के विधायक और पूर्व वित्त मंत्री को हराना छोटी बात नहीं. कांग्रेस को अब विश्वास हो गया था कि दमोह में कोई नेता है जो जयंत मलैया से टक्कर ले सके. लेकिन कांग्रेस के लिए ये खुश ज्यादा दिनों के लिए नहीं रही. राहुल लोधी कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो गए.
साल 2021 में दमोह सीट पर उपचुनाव हुए. इस उपचुनाव में बीजेपी ने राहुल लोधी को उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस ने अजय टंडन को मैदान में उतारा. इस उपचुनाव में अजय टंडन को 74 हजार 832 वोट और बीजेपी के राहुल लोधी को 57 हजार 735 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर लगभग 17 हजार रहा.
2023 में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राहुल सिंह लोधी की जगह जयंत मलैया पर भरोसा जताया और दमोह सीट से बीजेपी उम्मीदवार घोषित किया. जयंत मलैया ने कांग्रेस के अजय टंडन को 50 हजार वोट से हरा दिया. साल 2023 में राहुल सिंह दमोह से टिकट मांग रहे थे लेकिन उन्हें नहीं मिला. बीजेपी उन्हें आमचुनाव 2024 के लिए दमोह सीट से उम्मीदवार बना दिया.
तरवर सिंह लोधी – कांग्रेस उम्मीदवार
संपत्ति – दो करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य (0)
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को उम्मीदवार बनाया है. पंचायत स्तर से राजनीति शुरू करके तरवर सिंह लोधी आज लोकसभा उम्मीदवार तक पहुंचे हैं. साल 2015 में जिला पंचायत सदस्य बनें.
कांग्रेस ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सागर जिले की बंडा सीट से उम्मीदवार बनाया. लोधी को इस सीट से सफलता मिली. तरवर सिंह ने बंडा से सिटिंग विधायक हरवंश सिंह राठौर को हरा दिया. तरवर सिंह को 84 हजार, 456 वोट मिले और हरवंश सिंह को 60 हजार 292 वोट मिले. जीत का अंतर लगभग 24 हजार रहा.
साल 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को फिर से अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस बार हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बंडा सीट से बीजेपी के वीरेंद्र लोधी ने जीत दर्ज की. वीरेंद्र लोधी को 90 हजार 911 मत मिले और तरवर सिंह लोधी को 56 हजार 160 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर 34 हजार रहा.
बंडा सीट से विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी पर भरोसा जताया है और दमोह लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है.
दमोह सीट पर इस बार लोधी बनाम लोधी
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने लोधी उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में उतारे हैं. ये जानकार शायद आपको हैरानी हो कि दोनों उम्मीदवार दोस्त भी हैं. दमोह सीट पर लोधी जनसंख्या अच्छी खासी है. इस सीट पर लोधी, कुर्मी वोटर्स 22 फीसदी, सवर्ण की संख्या लगभग 17 फीसदी और यादव वोटर्स पांच फीसदी हैं.
लोकसभा चुनाव 2019 का हिसाब-किताब
दमोह सीट पर हुए चुनाव में बीजेपी ने प्रहलाद पटेल को प्रत्याशी बनाया था. कांग्रेस ने प्रताप सिंह लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया. प्रहलाद पटेल को इस चुनाव में सात लाख, चार हजार, 524 वोट मिले और कांग्रेस के उम्मीदवार प्रताप सिंह को तीन लाख, 51 हजार, 113 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर तीन लाख, 53 हजार, 411 रहा. प्रहलाद पटेल सांसद बन गए.
बीजेपी ने साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर सीट से उम्मीदवार बनाया दिया. प्रहलाद पटेल जीत गए और मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री बन गए. इस कारण बीजेपी ने नए उम्मीदवार को 2024 के चुनाव में उतारा.
दमोह सीट का राजनीतिक इतिहास
पिछले 35 सालों से ये सीट बीजेपी के पास है. रामकृष्ण कुसमरिया चार बार यानी 1991, 1996, 1998 और 1999 में सांसद रहे. आखिरी बार इस सीट से कांग्रेस के डाल चंद्र जैन ने 1984 में जीत दर्ज की थी.
साल 1977 में पहली गैर कांग्रेसी सांसद बना था. नरेंद्र यादवेंद्र सिंह ने जनता पार्टी से जीत हासिल की थी. प्रहलाद पटेल इस सीट से दो बार यानी साल 2014 और 2019 में सांसद रहे.
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