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दशहरा पर सिंधिया का शाही अंदाज, महाराजा की वेशभूषा में की कुलदेवता की पूजा, CM मोहन यादव ने भी किया शस्त्र पूजन

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सिंधिया ने की कुलदेवता की पूजा

Dussehra 2025: देश भर में हर्षोल्लास के साथ दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रियासत काल से से चली आ रही परंपरा के तहत शाही अंदाज में कुलदेवता की पूजा की. वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में शस्त्र पूजन किया.

दशहरा पर शाही परंपरा का निर्वहन

ग्वालियर में सिंधिया परिवार आज भी शाही परंपरा का निर्वहन करते हुए दशहरा का पर्व मना रहा है. यहां दशहरे के दिन एक ऐसी परंपरा निभाई जाती है, जिसमें आज भी पूरा शहर शामिल होता है. यह पूजा सिंधिया राजघराने के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया करते हैं. इस दौरान आम तौर पर सफेद कुर्ते में दिखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया अलग ही अंदाज में नजर आते हैं. हाथों में तलवार, शाही अंदाज और पगड़ी पहनकर ज्योतिरादित्य सिंधिया इस पूजा में शामिल हुए. विजयादशमी के पर्व पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने परिवार की शाही दशहरा परंपराओं का निर्वहन किया.

ज्योतिरादित्य सिंधिया का शाही अंदाज

ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बेटे महाआर्यमन सिंधिया के साथ शाही लिबास में ग्वालियर के गोरखी स्थित देवघर पहुंचे. यहां उन्होंने सबसे पहले अपने कुलदेवता की पूजा की. सिंधिया ने अपनी कुलदेवी, देवता दक्षिण केदार, दुर्गा मैय्या, राजशाही शस्त्र, मुहर, प्रतीक चिन्हों की पूजा अर्चना की. पूजा के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया राजपरिवार के प्रतीक ध्वज और शस्त्रों का पूजन किया. साथ ही राजशाही गद्दी पर बैठकर दरबार भी लगाया. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया भी मौजूद थे. वहीं, उनके पुराने राजशाही काल के सरदार, सेनपतियों की वर्तमान पीढ़ी के लोग भी शाही अंदाज की ड्रेस पहनकर दरबार में शामिल हुए.

300 साल पुरानी है परंपरा

सिंधिया राज परिवार के नजदीक रहे विधायक तथा अनेक पदों पर रहे ब्रिगेडियर नरसिंह राव पंवार (अब स्वर्गीय) के अनुसार सिंधिया राजवंश की यह परंपरा लगभग 300 साल पुरानी है. पहले इनकी राजधानी उज्जैन में थी तब वहां यह परंपरा हुई, लेकिन महादजी सिंधिया ने पानीपत युद्ध में जीत के बाद ग्वालियर को अपना केंद्र बनाया. मुगलों के बढ़ते प्रभाव को रोकने और देशी राजाओं के नित नए होने वाले विद्रोहों को खत्म करने की दृष्टि से महाराजा दौलत राव सिंधिया ने लश्कर शहर बसाकर ग्वालियर को राजधानी के रूप में स्थापित किया. शाही दशहरे के आयोजन की परंपरा भी उन्होंने ही शुरू की. स्वतंत्रता पूर्व तक यहां महाराज को इक्कीस तोपों की सलामी भी दी जाती थी.

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CM मोहन यादव ने की शस्त्रों की पूजा

विजयदशमी के मौके पर CM मोहन यादव ने मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में शस्त्र पूजन किया.

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