Vistaar NEWS

सौरभ शर्मा के खिलाफ ED ने दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का केस, सोने के बिस्किट तलाशने में जुटी DRI

ED registers money laundering case against Saurabh Sharma

ED ने सौरभ शर्मा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया

MP News: राजधानी भोपाल के परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर हुई दबिश के मामले में अब एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) की एंट्री हो गई है. सौरभ शर्मा और उसके दोस्त चेतन गौर के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग के तहत ED ने मामला दर्ज किया है. इधर, सोने का सोर्स पता करने के लिए डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) भी जुट गई है. माना जा रहा है कि सोना विदेश से लाया गया है. इसी का सोर्स पता करने के लिए DRI ने सर्चिंग शुरू कर दी है.

कार से मिला था 54 किलो सोना

पिछले दिनों रातीबड़ स्थित सुनसान इलाके के पास एक संदिग्ध कार से 54 किलो सोना बरामद लोकायुक्त ने किया था. ये सोना गुरुवार यानी 19 दिसंबर को मेंडोरी के जंगल से मिला था. शुरुआती जांच में लोकायुक्त मान रहे हैं कि यह सोना सौरभ शर्मा और उसके दोस्त चेतन सिंह गौर का हो सकता है. जिसकी कीमत करोड रुपये में आंकी गई है. फिलहाल सौरभ शर्मा दुबई में पत्नी के साथ है. जांच एजेंसियां उसके वापस लौटने का इंतजार कर रही हैं.

ये भी पढ़ें: भोपाल एयरपोर्ट पर मार्च में होगी डिजी यात्रा की शुरुआत, बोर्डिंग टाइम घटकर होगा 10 मिनट

फिलहाल लोकायुक्त और कई जांच एजेंसियां इस पूरे घटनाक्रम के पीछे मुख्य किरदारों की तलाश में हैं क्योंकि सौरभ शर्मा के ठिकाने से एक डायरी मिली है. जिसमें करोड़ों रुपए के लेनदेन का जिक्र है. हर महीने कितने अधिकारियों को कितना पैसा पहुंचना है. इसका काला चिट्ठा जांच एजेंसी के सामने आ चुका है.

नेता, अफसर और बिल्डर का गठजोड़?

सौरभ शर्मा की केस में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका नेता अफसर और बिल्डर की सामने आ रही है. सौरभ शर्मा 7 साल के भीतर करोड़ों रुपये कमाने के बाद परिवहन की नौकरी छोड़ देता है. उसके बाद बिल्डर के साथ संपर्क में आ जाता है. जिसके बाद लोकायुक्त भी हैरान है कि इतनी बड़ी संख्या में रकम कहां से आई लेकिन परिवहन विभाग के दो पूर्व मंत्री से करीबी होने के तार जुड़ गए हैं. अब सौरभ शर्मा ही जांच एजेंसियों को बताएंगे कि आखिर इतनी बड़ी रकम कैसे कमाई है.

ये भी पढ़ें: सौरभ शर्मा केस से क्या है ‘सीक्रेट डायरी’ का कनेक्शन? समझिए 100 करोड़ के ‘लेनदेन’ का क्या है पूरा मामला

पूर्व सीएस का नाम भी आया सामने

सौरभ शर्मा के ठिकानों के साथ कई बिल्डरों के यहां भी आयकर विभाग ने पिछले दिनों छापेमारी की है. यहां से करोड़ों रुपये बरामद किया गया है. जिसके बाद एक दस्तावेज में पूर्व मुख्य सचिव का नाम भी सामने आया है. माना जा रहा है कि सौरभ शर्मा भी पूर्व मुख्य सचिव का करीबी रहा था. हालांकि संबंधित रिटायर्ड अधिकारी ने इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि साल 2012-13 में खरीदी और 14 में बेंच दी थी.

अभियोजन की नहीं मिल पाई स्वीकृति

लोकायुक्त EOW अधिकारियों की माने तो मध्य प्रदेश के 274 ऐसे मामले हैं, जिसमें अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली है. यानी की जांच एजेंसी ने अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया लेकिन सरकार ने केस चलाने की अनुमति नहीं दी. जानकर आश्चर्य होगा कि जिसमें 35 कलेक्टर और SDM स्तर के करीब 27 विभाग के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं. कई मामलों में तो आरोपी अधिकारी-कर्मचारी रिटायर्ड हो गए हैं या फिर नौकरी ही छोड़ चुके हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.

ये भी पढ़ें: CM ने MPPSC के छात्र प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, मांगों पर जताई सहमति, बोले- रोजगार के ज्यादा अवसर उपलब्ध कराएंगे

टीनू और अरविंद के अलावा कोई ब्यूरोक्रेट नहीं गया जेल

1979 बैच के IAS अफसर अरविंद जोशी और उनकी पत्नी टीनू जोशी के आवास पर साल 2010 में आयकर विभाग में छापा मारा था. यहां से इनकम टैक्स को बेहिसाब संपत्ति मिली थी. नोटों की गड्डियां देखकर अधिकारियों के होश तक उड़ गए थे. मध्य प्रदेश में इकलौते जोशी दंपति हैं, जिन्हें जेल जाना पड़ा था. 350 करोड़ की बेनामी संपत्ति मिलने के बाद बर्खास्त किए गए और फिर बाद में जेल की सलाखों के भीतर रहे.

हालांकि 7 साल में 14 अपील दायर की दोनों की साथ-साथ अपील लगी हुई थी. लेकिन आखिरकार जोशी दंपति को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा. इसके बाद कोई भी अधिकारी आज तक जेल नहीं गया.

Exit mobile version