50 Years Of Emergency: 25 जून 1975… यह वह तारीख है जब भारत में तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने आपातकाल यानी इमरजेंसी लगाने की घोषणा की थी. 21 महीनों तक देश में लागू रहे आपातकाल के दौरान हजारों नेताओं को गिरफ्तार किया गया था. इनमें ग्वालियर की महारानी ‘राजमाता’ विजयराजे सिंधिया भी शामिल थीं. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विजयराजे सिंधिया को गिरफ्तार करवा तिहाड़ जेल भेज दिया था.
विजयराजे सिंधिया को किया गया गिरफ्तार
इमरजेंसी के दौरान ग्वालियर की महारानी और लोगों के बीच ‘राजमाता’ के नाम से लोकप्रिय विजयराजे सिंधिया को भी गिरफ्तार किया गया. 3 सितंबर, 1975 को ‘राजमाता’ तिहाड़ जेल लाया गया. उनके खिलाफ आर्थिक अपराध की धारा लगाई थी. इसके अलावा उनके सारे बैंक अकाउंट सील कर दिए गए थे. इतना ही नहीं इस दौरान एक बार ऐसी नौबत आ गई थी कि ‘राजमाता’ को अपनी संपत्ति बेचकर या दोस्तों से उधार लेकर अपना खर्च चलाना पड़ा. दोस्तों से उधार लेना भी इतना आसान नहीं था क्योंकि जो भी इमरजेंसी पीड़ित की मदद करता, उसके ऊपर प्रशासन का कहर टूट पड़ता था.
दो महारानियों को भेजा गया था जेल
मार्च 1977 तक चले आपातकाल के दौरान सिर्फ ‘राजमाता’ ही नहीं बल्कि एक और महारानी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. वह थीं जयपुर राजघराने की महारानी गायत्री देवी. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने महारानी गायत्री देवी को भी तिहाड़ जेल भेजा था. उनके एक महीने बाद ही ‘राजमाता’ भी तिहाड़ जेल लाई गई थीं.
गायत्री देवी अपनी आत्मकथा ‘द प्रिंसेज रिमेंबर्स’ ने अपनी आत्मकथा ‘द प्रिंसेज़ रिमेंबर्स’ में तिहाड़ जेल के कई किस्सों का जिक्र किया है. उनमें राजमाता विजयराजे सिंधिया का भी है. गायत्री देवी ने अपनी आत्मकथा में बताया है कि जब ‘राजमाता’ विजयराजे सिंधिया को तिहाड़ लाया जा रहा था, तो दोनों महारानियों को एक ही कमरे में रखने की बात की जा रही थी. राजमाता ने इसका विरोध किया था.
वहीं, गायत्री देवी के अनुरोध पर जेल सुपरिटेंडेंट ने दोनों महारानियों को अलग-अलग कमरे में रनहे की व्यवस्था की थी.
