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MP: हथियारों के फर्जी लाइसेंस बनाने का ‘अड्डा’ बना ग्वालियर, कलेक्टर और ADM के जाली सिग्नेचर भी किए, पुलिस कर रही जांच

Gwalior Collector spoke to the media regarding fake arms licenses.

ग्वालियर की कलेक्टर ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस को लेकर मीडिया से बातचीत की.

Gwalior News: मध्यप्रदेश फर्जीवाडे का अड्डा बनता जा रहा है. कभी फर्जी परीक्षार्थी, तो कभी फर्जी कर्मचारी तक पकड़ में आए. अब ग्वालियर से शस्त्रों के फर्जी लाइसेंस पकड़ में आए हैं. यह देख ग्वालियर कलेक्टर भी हैरान हो गईं, क्योंकि इस समय जिले से लेकर प्रदेश तक कहीं भी शस्त्र लाइसेंस नहीं बनाए जा रहे फिर भी यह लाइसेंस डायरी कैसे बन गए. तुरंत उन्होंने जांच के आदेश दिए और पुलिस ने आरोपियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.

ग्वालियर-चंबर बंदूक रखना शान की बात

ग्वालियर चंबल अंचल में बंदूक और पिस्तौल रखता शान की बात मानी जाती है. लेकिन इस झूठी शान दिखाने दिखाने के पीछे कहीं कोई रैकेट तो काम नहीं कर रहा. जो फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाकर लोगों के साथ ठगी कर रहा हो. यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि ग्वालियर में पिस्तौल और बंदूक के फर्जी शस्त्र लाइसेंस डायरी पकड़ी गई हैं.

इन लोगों के नाम पर फर्जी शस्त्र लाइसेंस

जो लाइसेंस पकड़े गए हैं, उनमें पिस्तौल का लाइसेंस महाराजपुर के गिरगांव के रहने वाले एदल सिंह पुत्र लोटन सिंह का नाम शामिल है. फॉर्म हाथों से ही भरा गया है. कारतूस की संख्या से लेकर 21 मार्च 2027 तक वैलिड होना बताया गया है. ADM की सील और साइन किए गए हैं. इस बीच में एक जगह कलेक्टर के हस्ताक्षर भी करने की कोशिश की गई है.

दूसरा लाइसेंस रामनिवास सिंह निवासी डीडी नगर का है जिसमें फोटो भी लगा है इसमें 2026 का यूनिक आईडी नंबर डाला गया है.

तीसरा लाइसेंस अमित सिंह राजावत पुत्र बालेंद्र सिंह न्यू राम विहार पिंटू पार्क ग्वालियर का है, जिसमें यूनिक आईडी में 2027 का वर्ष डाला गया है. जबकि अभी 2025 चल रहा है कारतूस की जानकारी सेल साइन सब कुछ लिखा है.

कलेक्टर और ADM के फर्जी सिग्नेचर किए

प्रशासन ने जब इन शस्त्र लाइसेंस की डायरी को देखा तो यह नकली नजर आई. इन लाइसेंस डायरी में कलेक्टर और अपर कलेक्टर के साइन भी हूबहू किए गए हैं. तीनों ही लाइसेंस डायरी ग्वालियर जिले की है और उनके घर का पता एक-दूसरे के नजदीक है.

लाइसेंस की इन डायरी में हथियार धारक को मिलने वाली यूनिक आईडी तक फर्जी डाली गई है और लाइसेंस क्रमांक ढाई हजार से ज्यादा लिख लिया गया है. यानी इस हिसाब से ग्वालियर कलेक्टर ने इस साल ढाई हजार से ज्यादा लाइसेंस जारी किए. लाइसेंस का पूरा सिस्टम ऑनलाइन कर दिया गया. इसके बाद भी पुरानी व्यवस्था के जैसे ही मैन्युअल लाइसेंस डायरी बनाई गई है. जांच करने के बाद अपर कलेक्टर ने पुलिस को सूचना दी और तीनों ही आवेदकों को बुलाया गया. लगभग 3 घंटे चली पूछताछ के बाद फिलहाल तीनों लोगों को पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया है और इनसे पूरी जानकारी जुटाई जा रही है. एक आवेदक ने ग्वालियर कलेक्ट्रेट में अपने हथियार लाइसेंस की डायरी लेने के लिए संपर्क किया तब यह मामला सामने आया. इसमें किसी बड़े गिरोह के शामिल होने की आशंका भी जताई जा रही है. वर्तमान में जो भी शस्त्र लाइसेंस बनाए जा रहे हैं, उनमें सॉफ्टवेयर की स्लिप लगाई जाती है. जबकि पकड़े गए लाइसेंस डायरी पुराने फॉर्मेट में है.

ग्वालियर में हथियारों के 34 हजार लाइसेंस

बताया जा रहा है कि किसी दलाल ने इन तीनों ही आवेदकों से संपर्क किया था और शस्त्र लाइसेंस की डायरी बनवा कर दे दी. ग्वालियर जिले में बंदूक और पिस्तौल मिलकर लगभग 34000 शस्त्र लाइसेंस हैं. यह तो वह है जो शासन के द्वारा जारी किए गए हैं. यहां बड़ी संख्या ऐसे लोगों भी हैं जो दिखावे के लिए पिस्तौल और बंदूक टांग कर घूमते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने वाला कोई बड़ा गिरोह काम कर रहा हो, जो लोगों से मोटी रकम लेकर उन्हें फर्जी लाइसेंस बनाकर दे रहा हो. आवेदकों ने यह भी बताया कि लाइसेंस उन्हें कलेक्ट्रेट में ही किसी कर्मचारी ने बनवा कर दिया है. अब पुलिस पूरे मामले की पड़ताल कर रही है.

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