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Mauganj News: ठिठुरन में न्याय की जंग! कलेक्ट्रेट गेट पर ‘मऊगंज के अन्ना’ का अनशन, सचिव को हटाने की मांग

Protesters on hunger strike

अनशन पर बैठे प्रदर्शनकारी

Mauganj News (लवकेश सिंह की रिपोर्ट): मऊगंज जिले में प्रशासन बनाम जन आंदोलन की टकराहट अब सड़कों पर खुलकर दिखाई देने लगी है. कलेक्टर के निज सचिव पंकज श्रीवास्तव को हटाने एवं उनके मूल पद पर भेजने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट गेट के सामने अनशन पर बैठने जा रहे ‘मऊगंज के अन्ना हजारे’ कहे जाने वाले मुद्रिका प्रसाद के आंदोलन को प्रशासन ने शुरू होने से पहले ही कुचलने की कोशिश की.

कलेक्टर चोर है के नारे गूंजे

जैसे ही अनशन की तैयारी शुरू हुई, प्रशासनिक अमले ने टेंट जब्त कर लिया. इसके बाद आंदोलनकारी भड़क उठे और खुले आसमान के नीचे ही अनशन पर बैठ गए. देखते ही देखते माहौल गरमा गया और कलेक्ट्रेट परिसर के सामने “कलेक्टर चोर है” जैसे तीखे और आक्रोशपूर्ण नारे गूंजने लगे.

10 डिग्री की ठंड में रातभर डटे रहे अनशनकारी

एक ओर मऊगंज जिले में ठंड ने कहर बरपा रखा है. तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका है, वहीं दूसरी ओर आंदोलनकारी पूरी रात कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे अनशन पर बैठे रहे. हैरानी की बात यह रही कि रातभर कोई भी जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी हालचाल जानने तक नहीं पहुंचा.

75 वर्षीय बुजुर्ग भी आंदोलन में शामिल

इस अनशन की सबसे मार्मिक तस्वीर तब सामने आई जब पता चला कि आंदोलन में 75 वर्षीय बुजुर्ग भी शामिल है. ठंड से कांपते शरीर, लेकिन आंखों में न्याय की आग है यही तस्वीर कलेक्ट्रेट गेट पर देखने को मिली.

क्या है पूरा मामला?

आंदोलनकारियों का आरोप है कि कलेक्टर के निज सचिव पंकज श्रीवास्तव, जो कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं, जिनकी मूल पदस्थापना शहीद केदारनाथ महाविद्यालय मऊगंज में है, उन्हें नियमों को ताक पर रखकर कलेक्ट्रेट में प्रभावशाली पद पर बैठाया गया है. आंदोलनकारियों की मांग है कि उन्हें तत्काल उनके मूल पद पर भेजा जाए, ताकि प्रशासनिक मनमानी पर रोक लगे और न्याय मिल सके.

पंकज श्रीवास्तव पर रिश्वत का गंभीर आरोप

निज सचिव पंकज श्रीवास्तव पर छात्रावास में वार्डन की नियुक्ति के नाम पर 1 लाख 12 हजार रुपये लेने का गंभीर आरोप भी लगाया गया है.आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा.

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प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ठंड में बैठे बुजुर्गों की जान की जिम्मेदारी प्रशासन की नहीं? क्या टेंट जब्त करना ही समस्या का समाधान है? और क्या गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों पर प्रशासन आंख बंद कर बैठा रहेगा. मऊगंज में यह आंदोलन अब सिर्फ एक व्यक्ति के हटाने की मांग नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, तानाशाही और संवेदनहीन प्रशासन के खिलाफ जनआक्रोश का प्रतीक बनता जा रहा है.

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