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नक्‍सली हमले में शहीद आशीष शर्मा को अंतिम विदाई देते समय रो पड़े साथी जवान, नरसिंहपुर में राजकीय सम्मान से होगा अंतिम संस्कार

Final farewell to martyr Ashish Sharma in Balaghat

नक्‍सली हमले में शहीद नरसिंहपुर के आशीष शर्मा को अंतिम विदाई

Narsinghpur Jawan Ashish Sharma: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में बुधवार को नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ में हॉक फोर्स के निरीक्षक आशीष शर्मा ने अपनी जान गंवा दी. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश बॉर्डर पर चल रहे संयुक्त नक्‍सली सर्च अभियान के दौरान अचानक नक्सलियों की ओर से तीन से चार राउंड फायरिंग की गई. इस हमले में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर निवासी इंस्पेक्टर आशीष शर्मा को जांघ और कंधे में गोली लग गई.

आशीष इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. सीएम मोहन यादव ने भी उनके इस बलिदान पर दुख जताया था. आशीष शर्मा की वीरता और बलिदान पर आज सभी को गर्व महसूस हो रहा है. शहीद का पार्थिव शरीर आज सुबह बालाघाट लाया गया जहां लोगों ने नम आंखों से उनको अंतिम विदाई दी.

बालाघाट में रखा शहीद आशीष शर्मा का पार्थिव शरीर

गुरुवार सुबह आशीष शर्मा को श्रद्धांजलि देने के लिए शहर के आंबेडकर चौक से पुलिस लाइन तक भावनात्मक माहौल में श्रद्धांजलि यात्रा निकाली गई. फूलों से सजे वाहन में रखी उनकी पार्थिव देह के साथ हॉक फोर्स, सीआरपीएफ, कोबरा और जिला पुलिस के जवान बड़ी संख्या में शामिल हुए. कलेक्टर मृणाल मीना, वरिष्ठ अधिकारी, जनप्रतिनिधि और आम नागरिक भी अंतिम विदाई देने पहुंचे. साथी जवानों की आंखें नम थीं और कई लोग अपने जाबांज साथी को खोने का दुख छिपा नहीं सके. पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा भी भावुक हो उठे और जवानों ने आपस में मिलकर एक-दूसरे को संभाला. पुलिस लाइन में सभी ने आशीष शर्मा को पुष्प अर्पित कर अंतिम सम्मान दिया.

पार्थिव शरीर को परिजन लेकर गए पैतृक गांव

श्रद्धांजलि सभा के बाद आशीष शर्मा का पार्थिव शरीर उनके परिजन बालाघाट से पैतृक गांव बोहानी (नरसिंहपुर) ले गए, जहां उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. इस अंतिम विदाई में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के उपस्थित रहने की सूचना है. दो बार वीरता पदक प्राप्त कर चुके निरीक्षक आशीष शर्मा बुधवार को हुए संयुक्त ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे, जब माओवादियों से मुठभेड़ के दौरान उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया.

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