Madhya Pradesh News: भोपालवासियों के लिए बड़ी सौगात मानी जा रही 3 हजार करोड़ रुपए की वेस्टर्न भोपाल बायपास परियोजना में नेताओं,अधिकारियों द्वारा जमीन खरीदी के ‘खेल’ की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है. पीएमओ ने इसे गंभीरता से लेते राज्य सरकार को मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं. इसे देखते हुए वेस्टर्न भोपाल बायपास परियोजना को फिलहाल होल्ड कर दिया गया है.
शिकायत की जांच के लिए लोक निर्माण विभाग ने जांच कमेटी गठित की है. चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी भोपाल परिक्षेत्र को कमेटी का अध्यक्ष और अधीक्षण यंत्री पीडब्ल्यूडी भोपाल मंडल व भोपाल, सीहोर व रायसेन कलेक्टर व जिला पंजीयक के प्रतिनिधि सदस्य बनाए गए हैं. कमेटी बायपास निर्माण क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर जमीन खरीदी की जांच करेगी. कमेटी 15 दिन में रिपोर्ट पेश करेगी. मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने वेस्टर्न भोपाल बायपास का प्लान बनाया है. वेस्टर्न भोपाल बायपास जबलपुर-भोपाल रोड (एनएन- 46) पर मंडीदीप के पास इटाया कलां से भोपाल – देवास रोड (एसएच-28 ) पर ग्राम फेदा कलां तक बनाया जाएगा.
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इसकी लंबाई 41 किलोमीटर होगी. बायपास की चौड़ाई 70 मीटर प्रस्तावित की गई है। मार्ग के संरेखण (एलाइनमेंट) पर एक आरओबी, दो फ्लाय ओवर, 15 अंडरपास और दो प्रमुख जंक्शन बनाए जाएंगे। इसका निर्माण हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल पर किया जाएगा। इसके निर्माण के लिए भोपाल और रायसेन जिले की करीब 305 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. इसमें भोपाल जिले के 13 गांवों की 112 हेक्टेयर ज्यादा जमीन है. एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने भूमि अधिग्रहण पर 426 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा 43 हेक्टेयर वन भूमि की जरूरत होगी.
पूर्व मंत्री की शिकायत पर बनी कमेटी
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पूर्व मंत्री दीपक जोशी और अन्य ने प्रधानमंत्री कार्यालय को की गई शिकायत में कहा है कि वेस्टर्न भोपाल बायपास निर्माण से जुड़े आईएएस अफसरों, नेताओं, पटवारियों, सर्वेयरों आदि ने बायपास के निर्माण क्षेत्र में जमीन खरीद ली है. उन्होंने यह जमीन इसलिए खरीदी है, ताकि बायपास के लिए भूमि अधिग्रहण होने पर ज्यादा से ज्यादा मुआवजा मिल सके.
जमीन और मालिकों के कनेक्शन की होगी जांच
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने शिकायत की जांच के लिए मप्र सरकार को पत्र लिखा है. पत्र प्राप्त होने के बाद सरकार ने फिलहाल बायपास के लिए भूमि अधिग्रहण समेत अन्य इसके निर्माण से जुड़े अन्य कार्यों पर रोक लगा दी है. लोक निर्माण विभाग ने इस संबंध में कमेटी गठित की है. कमेटी प्रोजेक्ट की शुरुआत से लेकर एक साल की अवधि में बायपास के निर्माण क्षेत्र में जमीन खरीदी की जांच करेगी. कमेटी इस बात का परीक्षण करेगी कि बायपास के निर्माण क्षेत्र में कितनी जमीन की खरीदी की गई और जमीन खरीदारों किसी नेता,अधिकारी, कर्मचारी से क्या संबंध हैं? यही वजह है कि कमेटी में जिला पंजीयक के प्रतिनिधियों को सदस्य बनाया गया है.
बड़े तालाब के कैचमेंट को खतरा – जोशी
दीपक जोशी का कहना है कि बायपास का निर्माण फंदा कलां के स्थान पर झागरिया तक किया जाए. इससे 5 किमी दूरी कम होगी और बड़े तालाब का कैचमेंट एरिया भी निर्माण के दायरे में नहीं आएगा, लेकिन झागरिया से फंदा कलां के बीच में नेताओं, अधिकारियों ने जमीन खरीद ली हैं, जिससे बेवजह फंदा कलां से बायपास को जोड़ा जा रहा है। हमने प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर कई स्तर पर इसकी शिकायत की है.