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Gold Cash Case: सौरभ शर्मा की जमानत याचिका स्पेशल कोर्ट से खारिज, ED को मिली 14 दिनों की रिमांड

Special court rejected the bail plea of ​​Saurabh Sharma

सौरभ शर्मा (फाइल फोटो)

Gold Cash Case: गोल्ड-कैश कांड के आरोपी सौरभ शर्मा उसके दोस्त चेतन गौर और शरद जायसवाल की जमानत याचिका स्पेशल कोर्ट ने खारिज कर दी है. जमानत याचिका खारिज होने के बाद तीनों 14 दिनों की रिमांड पर रहेंगे.

बुधवार को कोर्ट फैसला सुरक्षित रखा था

बुधवार यानी 19 फरवरी को ED की स्पेशल कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई की थी. सुनवाई करने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. इसके बाद गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जमानत याचिका को खारिज कर दिया. सौरभ शर्मा के वकील ने कोर्ट में कहा कि सोने से भरी कार से उसका कोई लेना-देना नहीं है. जांच एजेंसियों का सहयोग करने की बात भी कही. वकील ने जज के सामने ये भी कहा कि भागकर जाने की कोई गुंजाइशन नहीं है. इसलिए उन्हें जमानत दे देना चाहिए.

14 दिनों की रिमांड हैं सौरभ और उसके दोस्त

17 फरवरी को सौरभ शर्मा और उसके दोस्तों को कोर्ट में पेश किया गया. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सौरभ सके दोस्त चेतन गौर और शरद जायसवाल को 14 दिनों की रिमांड पर भेज दिया.

234 किलो चांदी और 8 करोड़ रुपये कैश मिला था

19 दिसंबर को लोकायुक्त ने सौरभ शर्मा के भोपाल स्थित घर पर छापेमारी की थी. यहां से 234 किलो चांदी और 8 करोड़ रुपये कैश की बरामदगी की गई थी. इसके कुछ दिन बाद IT की सर्चिंग ऑपरेशन के दौरान भोपाल के मेंडोरी के जंगल से एक लावारिस कार मिली. इस कार से 54 किलो सोना बरामद हुआ था. ये कार ग्वालियर RTO में रजिस्टर्ड है. जिसका मालिक सौरभ का दोस्त चेतन गौर निकला था.

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इसी कार से एक डायरी मिली थी. इसमें 100 करोड़ रुपये के लेन-देन का ब्यौरा था. प्रदेश के 52 जिलों में RTO अधिकारियों के पैसे देने का जिक्र मिला था. ED ने सौरभ पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है.

कौन है सौरभ शर्मा?

सौरभ शर्मा परिवहन विभाग में पूर्व आरक्षक था. उसे अपने पिता के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति मिली थी. उसकी नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठे थे. नियुक्ति पत्र में सामने आया था कि उसने अपनी पारिवारिक जानकारियां छिपाई थी. पत्र में बड़े भाई का जिक्र नहीं किया था. सौरभ पर आरोप है कि उसके पास RTO नाकों से उगाही करने का जिम्मा था. इसमें कई रसूखदार लोग शामिल थे. परिवहन विभाग में उसने केवल 12 साल नौकरी की थी. नौकरी से स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेने के बाद बिल्डर बन गया. वहीं चेतन गौर और शरद जायसवाल उसके दोस्त हैं.

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