MP News: मध्य प्रदेश में यात्रियों के लिए बेहद ही सुखद खबर आई है. प्रदेश में अगले साल से एक बार फिर सरकारी बसें चलने जा रही हैं. 21 साल बाद राज्य की सड़कों पर सरकारी बसों का संचालन शुरू होगा. सरकार ने इन बसों को ‘जनबस’ नाम दिया है. शुरुआती चरण में इसका संचालन इंदौर से किया जाएगा. इसके तहत 25 जिलों के 6 हजार से ज्यादा रूट पर करीब 10 हजार गाड़ियां दौड़ेंगी.
राज्य परिवहन निगम ने बनाई नई कंपनी
राज्य परिवहन निगम की जगह सरकार ने ‘यात्री परिवहन एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ नाम की नई कंपनी बनाई है, जो इन 25 जिलों में बसों का संचालन करेगी. अप्रैल 2027 तक यह नई व्यवस्था सभी संभागों और जिलों में लागू कर दी जाएगी.
यह व्यवस्था केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका मुख्य फोकस ग्रामीण, दूर-दराज के इलाकों और आदिवासी क्षेत्रों को जिला मुख्यालयों और बड़े शहरों से जोड़ने पर रहेगा. बसों के संचालन की जिम्मेदारी निजी ऑपरेटरों के पास होगी, जबकि पूरी व्यवस्था की मॉनिटरिंग सरकार करेगी.
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परिवहन सचिव ने मुख्यमंत्री को दी जानकारी
मध्य प्रदेश में लोक परिवहन सेवा को व्यापक रूप देने की तैयारी तेज हो गई है. परिवहन सचिव मनीष सिंह ने मुख्यमंत्री को बताया कि इंदौर शहर से 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी शहरी और अंतर-शहरी मार्गों पर बसें चलाने की योजना तैयार है, जिसका दायरा इंदौर संभाग के सभी जिलों तक बढ़ाया जाएगा. इसी तरह उज्जैन और भोपाल शहरों के आसपास 50 किलोमीटर तक के रूट भी इस सेवा में शामिल किए जाएंगे और दोनों संभागों के सभी जिलों को कवर किया जाएगा. सागर और जबलपुर संभाग में रूट चिन्हांकन पूरा हो चुका है, वहीं भोपाल-नर्मदापुरम, रीवा, शहडोल, ग्वालियर और चंबल संभाग के सभी जिलों में भी यह नई परिवहन सेवा शुरू की जाएगी.
परिवहन सचिव ने बताया कि इस योजना के लिए राज्य में पहली बार इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया जा रहा है. यह देश का पहला ऐसा मॉडल होगा, जिसमें बस लोकेशन ट्रैकिंग, ऑटोमेटिक किराया वसूली, शिकायत निवारण और अलर्ट जैसी 18 आधुनिक सुविधाएँ शामिल होंगी.
सीएम ने बताई जनहित से जुड़ी पहल
कार्ययोजना की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों और मंत्रियों से राय ली और कहा कि यह सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी तथा जनहित से जुड़ी पहल है. उन्होंने निर्देश दिए कि बसें केवल मुनाफा देने वाले मार्गों तक सीमित न रहें, बल्कि उन रूटों पर भी चलें जहां लोगों को वास्तव में परिवहन की आवश्यकता है.
