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Gwalior: मध्य प्रदेश पुलिस का गजब कारनामा, 100 से ज्यादा मामलों में एक ही व्यक्ति को बनाया गवाह

GWALIOR: Madhya Pradesh Police made the same person a witness in more than 100 criminal cases

सांकेतिक तस्वीर

MP Police: एमपी अजब है और यहां की पुलिस गजब है. ग्वालियर-चंबल की पुलिस जिसने कोर्ट में एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन साल में 500 से ज्यादा पॉकेट गवाह पेश कर दिए. जिनका केस दूर-दूर तक कोई नाता नही हैं. इसके साथ ही कुछ पॉकेट गवाह तो ऐसे हैं, जो सौ-सौ बार कोर्ट में पुलिस की तरफ से गवाही दे रहे हैं. इस बात का खुलासा होने के बाद ग्वालियर पुलिस का तर्क है कि ये करना पड़ता है, क्योंकि हमें गवाह नहीं मिलते हैं.

507 मामलों में फर्जी गवाह

कोर्ट को न्याय का मंदिर माना जाता है लेकिन यहां ग्वालियर जिले की पुलिस ही फर्जी गवाह पेश करने से नहीं चूक रही. ग्वालियर पुलिस ने पिछले तीन वर्षों में 507 आपराधिक मामलों में खुद के बनाए फर्जी गवाह पेश किए हैं. हर थाने में ऐसे गवाह पहले से तय होते हैं. इन गवाहों को थाने में बुलाए बिना ही FIR में दर्ज कर लिया जाता है. उन्हें घटना की झूठी कहानी समझा दी जाती है. लेकिन इसका नुकसान पीडित पक्ष को हो जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़ें?

विस्तार न्यूज़ ने ऐसे गवाहों की घर जाकर पड़ताल की है. जो चौकानें वाला खुलासा हुआ है, वो या तो पुलिस से जुड़े थे, या फिर उनके मुखबर थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गवाह बना दिया. पहला गवाह एसपी सिंह कुशवाहा अब तक 100 मामलों में गवाह बन चुका है. एसपी कुशवाहा अपने घर से गायब था, लेकिन उसके माता-पिता कहते हैं कि वो पुलिस के लिए काम करता है. क्या काम करता है, उसे भी नहीं पता है. पुलिस ने गवाही देने के बदले उसे रक्षा समिति का कार्ड दिया था.

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दूसरा गवाह हेतराम बाथम 49 मामलों में गवाह बन चुका है. हेतराम भी घर से गायब मिला. हेतराम बेलदारी करता है. इसके साथ पुलिस के लिए मुखबरी करता है. पुलिस ने उसे भी पॉकेट गवाह बना दिया. सचिन पाल 53 मामले में गवाह, दीपक वर्मा 47 मामलों में गवाह, लक्ष्य जादौन- 29 मामलों में गवाह, देवेंद्र तोमर 27 मामलों में गवाह और भूप सिंह रजक 24 मामलों में गवाह रह चुका है.

‘लोग कोर्ट के चक्कर में नहीं फंसना चाहते’

ग्वालियर जोन आईजी अरविंद सक्सेना के मुताबिक ऐसे मामले जानकारी में हैं. लेकिन पुलिस के समाने चुनौती है, वो किसे गवाह बनाएं. लोग कोर्ट-कचहरी के चक्कर में नहीं फंसाना चाहते हैं. इसलिए पुलिस को ऐसा करना होता है. लेकिन उन्होंने कहा है कि अब नई धाराओं के बाद अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे घटना में स्वतंत्र व स्थानीय गवाह जुटाएं. ताकि केस मजबूत रहे.

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