Missing Archana Tiwari Case Update: 12 दिनों तक लापता रही लॉ की स्टू़ेडेंट और सिविल जज एस्पिरेंट अर्चना तिवारी नेपाल से बरामद की गई. उसे हिरासत में लेकर पुलिस ने पूछताछ की और फिर उसे परिजनों को सौंप दिया. 13 दिनों बाद मिली अर्चना अपनी शादी तय होने से नाखुश थी. यही वजह थी कि उसने अपनी गुमशुदगी का फुलप्रूफ प्लान बनाया. ट्रेन में कपड़े बदलकर स्टेशन पर उतरी और हर टोल पर कार में छिप जाती थी. इसके बाद भी वह हर कदम पर ऐसे सुराग छोड़ती गई, जिस कारण पुलिस ने कड़ी-कड़ी जोड़कर पूरे केस का पर्दाफाश कर दिया.
ट्रेन में बदले कपड़े
अर्चना तिवारी 7 अगस्त को इंदौर से कटनी के लिए नर्मदा एक्सप्रेस पर बैठकर रवाना हुई थी. 29 साल की अर्चना अचानक भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से गायब हो गई थी. उसका मोबाइल भी ऑफ था. सूट पहनकर ट्रेन में चढ़ी अर्चना ने ट्रेन में क पड़े बदले. वह साड़ी पहनकर इटारसी के आउटर पर ट्रेन से उतर गई. उसने अपना मोबाइल भी ऑफ कर जंगल में फेंक दिया था, लेकिन उसकी कॉल हिस्ट्री सबसे बड़ा सुराग निकली. जांच के दौरान CDR में एक खास नंबर सामने आया, जिस पर अर्चना अक्सर काफी देर तक बातचीत करती थी. इस नंबर की जांच करने पर यह शाजापुर जिले के शुजालपुर निवासी सारांश का पाया गया. यहां से केस मजबूत हुआ.
मोबाइल का उपयोग अचानक कम करना
गायब होने से ठीक 10 दिन पहले से अर्चना ने अपने मोबाइल का इस्तेमाल बहुत कम कर दिया था. हमेशा मोबाइल पर एक्टिव रहने वाली अर्चना की एक्टिवनेस मोबाइल पर जब कम पाई गई तो पुलिस के शक की सुई और तेज हुई. पुलिसने अनुमान लगाया कि गायब होने की घटना की प्लानिंग पहले ही की जा चुकी थी.
खंगाले 500 CCTV फुटेज
पुलिस ने अर्चना का पता लगाने के लिए भोपाल से इटारसी और उससे आगे तक 500 से ज्यादा CCTV फुटेज की जांच की. अर्चना ने गाड़ी में लेटकर कैमरों से बचने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ फुटेज में कार का स्थान और रास्ता पकड़ा गया. कार टोल रास्तों से बचकर घूम रही थी, जो पुलिस को संदिग्ध लगा और जांच की दिशा बदल गई.
शुजालपुर में किराए का कमरा
पूरे मामले की जांच में सामने आया कि अर्चना ने शुजालपुर में किराए पर एक कमरा लिया था. इससे अनुमान लगाया कि अर्चना पहले मध्य प्रदेश में ही रुकने वाली थी, लेकिन मामला बड़ा होने पर उसने अपनी योजना बदली और बाहर चली गई.
ड्राइवर तेजेंद्र की भूमिका
तेजेंद्र नाम का ड्राइवर, जो अक्सर अर्चना को बाहर ले जाता था. वह उसी दिन इटारसी तक ट्रेन से गया और कपड़े व मोबाइल मिडघाट जंगल में फेंक आया. पुलिस ने उसकी गतिविधियों की जांच की तो कहानी की परतें खुलने लगीं. बाद में दिल्ली पुलिस ने तेजेंद्र को एक अन्य मामले में पकड़ा, जहां GRP ने पूछताछ की और पूरा केस खुल गया.
नेपाल तक का सफर
सारांश के मोबाइल लोकेशन ने बड़ा सुराग दिया. जांच में पता चला कि वह बुरहानपुर, हैदराबाद, जोधपुर और दिल्ली गया था. इन सभी लोकेशनों को जोड़ने पर साफ हुआ कि यह कोई साधारण यात्रा नहीं थ. बाद में पता चला कि 14 अगस्त को सारांश और अर्चना नेपाल पहुंच गए थे.
सारांश ने किया खुलासा
जब पुलिस ने सारांश को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने पूरी कहानी बता दी. यह सबसे बड़ा सुराग था, जिसने अर्चना तक पहुंचने का रास्ता खुल गया.
70 लोगों की टीम ने खोली सच्चाई
GRP SP राहुल कुमार लोधा के मुताबिक अर्चना ने सोचा कि उसकी योजना GRP की जांच में नहीं खुलेगी, लेकिन 70 सदस्यीय पुलिस टीम ने 500 से अधिक सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड्स और हर स्टेशन की गलियों की जांच की. अर्चना ने हर जगह कोई न कोई सुराग छोड़े, जिन्हें छोड़ते हुए पुलिस ने पूरे मामला का पर्दाफाश किया है.
शादी तय होने से थी नाखुश
हिरासत के दौरान सामने आया कि अर्चना के परिजनों ने एक महीने पहले एक पटवारी से अर्चना की शादी फिक्स करने की बात की थी. वह इससे नाराज और नाखुश थी, जिस कारण उसने पूरा प्लान बनाया.
