MP News: देश के संसद भवन से लेकर मुख्य सड़कों पर इन दिनों “चोर” शब्द गूंज रहा है, जिसे सुनकर लोगों के कान खड़े हो रहे हैं. ऐसा ही एक चौका देने वाला मामला मध्य प्रदेश के दमोह जिले से सामने आया है, जहां राशन चोरों ने तहसीलदार के फर्जी आदेश बनाकर महीनों तक मुफ्त राशन बंटवा दिया.
दरअसल, दमोह जिले की तेंदूखेड़ा तहसील से यह मामला उजागर हुआ है. यहां तहसीलदार के फर्जी बीपीएल आदेशों के जरिए कुछ लोग लंबे समय से सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे थे. जांच में सामने आया कि ऐसे तीन फर्जी आदेश अलग-अलग तारीखों में धन्नू पिता कुद्दु पाल, राहुल पिता नब्बू पाल और टट्टू पिता सोनेलाल गौंड (ग्राम सहजपुर निवासी) के नाम से जारी किए गए. इन आदेशों के आधार पर अपात्र लोग बीपीएल कार्ड धारक बन गए और मुफ्त राशन, उज्ज्वला योजना के सिलेंडर सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने लगे.
सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगा जवाब
गरीबी रेखा में नाम दर्ज कराने के लिए सिस्टम से धोखाधड़ी की गई. तहसीलदार के नाम से जारी किए गए आदेश क्रमांक 0718/2857/25 दिनांक 24/01/2024 न तो रिकॉर्ड में दर्ज हैं और न ही उनके कोई आधिकारिक दस्तावेज मौजूद हैं.
मामला तब खुला जब सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत तेंदूखेड़ा जनपद पंचायत कार्यालय से इन आदेशों की सत्य प्रतिलिपि मांगी गई. इसके बाद तहसील कार्यालय के राजस्व अभिलेखागार से सम्बंधित प्रकरणों की नस्ती बाध्य जानकारी 09/06/2025 को प्राप्त हुई. इसमें सिर्फ धन्नू पिता कुद्दु पाल ग्राम सहजपुर निवासी का आवेदन मिला, जिसमें न तो जानकारी भरी हुई थी और न ही पटवारी की रिपोर्ट थी. यहां तक कि आवेदन पर हस्ताक्षर भी नहीं थे. गौर करने वाली बात यह रही कि आवेदन के शीर्ष भाग में सीएम हेल्पलाइन नंबर 25392361 दर्ज था. वहीं, अन्य दो लोगों के आवेदन का तो कोई रिकॉर्ड ही मौजूद नहीं है, जो पूरी तरह फर्जी साबित हुए.
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कलेक्टर ने लिया संज्ञान
इस मामले पर जनपद पंचायत सीईओ मनीष बागरी का कहना है कि उन्होंने पहले भी इन आदेशों को लेकर तहसीलदार को पत्र लिखे थे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद 08/09/2025 को फिर से चिट्ठी लिखी गई. इस पूरे मामले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. सबसे बड़ा सवाल यही है कि बिना असली आदेश के बीपीएल कार्ड कैसे जारी हो गए और इतने महीनों तक सिस्टम में किसी की नजर क्यों नहीं पड़ी.
फिलहाल यह मामला जिला कलेक्टर के संज्ञान में आ चुका है और जांच शुरू कर दी गई है. अब देखना होगा कि इन फर्जी आदेशों के पीछे कौन-कौन से चेहरे हैं और कब तक उन पर कार्रवाई होती है.
