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Indore News: बारिश में टूटी सड़कों और गड्ढों के साइडइफेक्ट्स, 40 फीसदी बढ़े कमर-घुटने और कंधे में दर्द के मरीज, स्टडी में खुलासा

pothole in indore road ( symbolic image)

इंदौर: सड़क पर गड्ढा ( सांकेतिक तस्वीर )

Indore News: बारिश में टूटी सड़कों और गड्ढों से ट्रैफिक ही नहीं. अब लोगों की रीढ़ और मांसपेशियों पर भी असर दिखने लगा है. एमवाय अस्पताल के फिजियोथैरेपी विभाग की स्टडी में सामने आया है कि बीते तीन महीने में कमर घुटने, कंधे और गर्दन दर्द के मरीजों की संख्या में 30 से 40 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है. इन मरीजों में सबसे ज्यादा 25 से 40 साल की उम्र के लोग हैं, जो दोपहिया वाहन से रोज सफर करते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, गड्ढों से गुजरते समय लगने वाले झटकों का असर रीढ़ की हड्डी, गर्दन, कोहनी, कलाई पर होता है.

समय पर इलाज न होने से समस्या और बढ़ सकती है

एमवाय अस्पताल के फिजियोथैरेपी विभाग में बड़ी संख्या में हर दिन ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हैं, जो रोजाना दोपहिया वाहन से सफर करते हैं. जैसे नौकरीपेशा कर्मचारी, छात्र और डिलीवरी ब्वॉय. विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इलाज समय पर न हो तो ये समस्याएं लंबे समय तक बनी रह सकती हैं.

3000 मरीजों पर स्टडी हुआ

डॉक्टरों का कहना है कि गड्ढों से निकलते समय लगने वाले झटके सीधे रीढ़ की हड्डी, गर्दन और घुटनों पर असर करते हैं. इससे स्लिप डिस्क, सर्वाइकल, मांसपेशियों में खिंचाव और नस दबने जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं. एमवाय अस्पताल के फिजियोथैरेपी विभाग के डॉ मनीष गोयल और डॉ अरुण पाटीदार की टीम ने 3000 मरीजों पर स्टडी की.

इसमें सामने आया कि 90% मरीज कमर, घुटना, कंधा और गर्दन दर्द , 10% टेनिस एल्बो, स्केफाईड पेन सियाटिक, डार्सल रेमस सिन्डोम, पायरिफारमेरिस पेन, लम्बर सेक्रल डिसफन्सन, पेरा वरटिबल स्पाजम, स्केपुलर पेन कमर दर्द के 30% मामलों में गड्ढों के झटके मुख्य कारण है. एमवाय अस्पताल के फिजियोथैरेपी विभाग के डॉ मनीष गोयल द्वारा 3 महीने की गई एक स्टडी में 3000 मरीजों का विश्लेषण किया गया.

सड़कों के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ठेकेदारों की

करोड़ों रुपए हर साल सड़कों की मरम्मत पर खर्च होने के बावजूद शारीरिक और आर्थिक कष्ट शहरवासी भोगने को मजबूर हैं. लेकिन जिम्मेदारों के अलग ही तर्क है. इंदौर नगर निगम के एमआईसी सदस्य और जानकार्य विभाग के प्रभारी राजेंद्र राठौर का कहना है कि बारिश के समय डामर की सड़के उखड़ जाती हैं. सड़कों के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ठेकेदार की है.

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इंदौर की सड़कों हालत खस्ता

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की सड़कों के इतने बुरे हाल पहले नहीं होते थे, जितने अब होने लगे हैं. पहले शहर में बारिश का पानी नहीं भरता था, लेकिन वाटर प्लस सिटी का तमगा पाने के लिए शहर के नालों की टैपिंग कर दी गई. सड़कों से पानी निकालने के लिए स्टॉर्म वाटर लाइन के नाम पर खानापूर्ति कर दी गई. इस वजह से सड़कों पर पानी भरने के साथ ही तेजी से बहने लगा और साथ सड़कें भी बहाकर ले जाने लगा. दुर्दशा के जिम्मेदार वो ही लोग हैं, जिन्हें इसे संवारने की जिम्मेदारी दी गई थी.

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