MP News: साइबर ठग अब सीधे डर और दहशत के जरिए शिकार को तोड़ने में लगे हैं. नीमच में ऐसा ही सनसनीखेज मामला सामने आया, जहां साइबर अपराधियों ने शासकीय सेवा से रिटायर्ड वृद्ध दंपती को 15 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और 60 लाख रुपये की एफडी तक तुड़वा ली. वक्त रहते इंदौर में रहने वाली उनकी बेटी ने समझदारी और सतर्कता दिखाते हुए इंदौर क्राइम ब्रांच की मदद से अपने नीमच निवासी माता-पिता को पूरी तरह लुटने से बचा लिया.
बेटी ने इंदौर साइबर सेल को दी मामले की सूचना
जानकारी के अनुसार वारदात के शिकार दंपती विकास नगर (नीमच) में रहते हैं. पिछले दिनों मामले का खुलासा तब हुआ जब बेटी को अपने पिता और मां के अजीब सवालों पर शक हुआ. व्यवहार बदला हुआ लगने पर बेटी ने तुरंत क्राइम ब्रांच इंदौर की साइबर सेल में सूचना दे दी. क्राइम ब्रांच ने 22 दिसंबर को साइबर सेल नीमच को बताया. मामला नीमच एसपी अंकित जायसवाल तक पहुंचा तो उनके निर्देश पर एक टीम बुजुर्ग दंपती के घर पहुंची. दोनों बेहद डरे हुए थे. खुलकर बात करने से भी कतरा रहे थे. करीब दो घंटे की बातचीत के बाद विश्वास में आए दंपती ने बताया कि वे 8 दिसंबर से घर में ही ‘डिजिटल अरेस्ट’ हैं.
वाट्सएप पर ऑडियो और वीडियो कॉल पर दी धमकी
उन्होंने बताया कि वाट्सएप पर लगातार ऑडियो और वीडियो कॉल आ रहे थे. कॉल करने वाला खुद को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बताता और मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम आने की धमकी देता. डर इतना बैठा दिया गया था कि घर से बाहर निकलने और किसी से बात करने तक से रोक दिया गया. कानून, गिरफ्तारी और जेल का डर दिखाकर उनसे करीब 60 लाख रुपये की एफडी तुड़वा ली. हालांकि पुलिस के पहुंचते ही ठगों की कॉल बंद हो गई.
जेट एयरवेज केस का डर दिखाकर रिटायर्ड बैंक अफसर से 5 लाख ठगे
साइबर ठगों ने इस बार बैंकिंग सिस्टम को समझने वाले रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर को ही निशाना बना लिया. जेट एयरवेज और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर पांच लाख रुपये ठग लिए गए. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त पीड़ित को 17 नवंबर को एक अनजान नंबर से कॉल आया. पहले जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल की तस्वीरें भेजीं, फिर वीडियो कॉल पर बताया गया कि ईडी जांच में गोयल ने उनके नाम का खुलासा किया है.
आरोप लगाया गया कि 20 करोड़ रुपये की हेराफेरी में वे शामिल हैं और उनके नाम से मुंबई की कैनरा बैंक में खाता खुला है. गिरफ्तारी वारंट और पुलिस के आने की धमकी देकर पांच दिनों तक अलग-अलग एजेंसियों के अफसर बनकर पूछताछ की गई. अंतत: डर के माहौल में पीड़ित से पांच लाख रुपये दूसरे खाते में ट्रांसफर करवा लिए गए.
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