MP News: मध्य प्रदेश के इंदौर में दूषित पानी से मौत के मामले में नगर निगम अधिकारियों की एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है. भागीरथपुरा इलाके में नर्मदा की जिस पाइपलाइन में ड्रेनेज का पानी मिल रहा था, उस पाइपलाइन को महीनों पहले ही बदल जाना था. नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने टेंडर खोलने में 3 महीने से ज्यादा का वक्त लगा दिया.
टेंडर खोलने में 100 से ज्यादा दिन लगा दिए
इंदर के भागीरथपुरा इलाके में 8 अगस्त को नर्मदा पाइपलाइन बदलने का टेंडर हुआ था. टेंडर खरीदने की आखिरी 15 सितंबर शाम 6 बजे की थी, जबकि टेंडर 17 सितंबर को 12 बजे खोला जाना था. लेकिन अधिकारियों ने टेंडर खोलन में 100 से ज्यादा दिन लगा दिए. पाइपलाइन बदलने का टेंडर 29 सितंबर शाम साढ़े 4 बजे खोला गया.
टेंडर सही समय पर खुल जाता, तो नहीं होती मौतें!
टेंडर को खोलने की जिम्मेदारी निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव और अपर आयुक्त रोहित सिसोनिया की थी, लेकिन इन्होंने सही समय पर टेंडर नहीं खोला था. टेंडर 2.40 करोड़ रुपये का था, इसके लिए 7 कंपनियों ने आवेदन किया था, जिसमें से एक एक कंपनी का टेंडर रिजेक्ट किया गया था. इसके अलावा सभी कंपनियां 15 सितंबर तक टेंडर भर चुकी थीं. इसके बावजूद सही समय पर टेंडर नहीं भरा गया.
अगर टेंडर समय पर खुल जाता तो भागीरथपुरा इलाके की पाइपलाइन बदली जा चुकी होती. अगर पाइपलाइन बदल जाती तो शायद इतनी मौतें ना होतीं और ना ही इतने लोग बीमार होते. बता दें दूषित पानी पीने से अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 140 से ज्यादा लोग बीमार हो गए.
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