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Gwalior News: पूरे देश में शान से लहराया जाता है ग्वालियर का बना हुआ तिरंगा, 90 फीसदी महिलाएं तैयार करती हैं तिरंगा

Women prepare the national flag

महिलाएं तैयार करती हैं राष्ट्रीय ध्वज

Gwalior News: स्वतंत्रता दिवस आने वाला है, ऐसे में पूरे देश भर में हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. स्वतंत्रता दिवस से पहले हर भारतीय के हाथों में और घरों के छतों में तिरंगा शान से लहरा रहा है. देश की आन बान और शान तिरंगा जब लहराता है तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. लेकिन आपको पता है कि ये तिरंगा कहां और कैसे बनाए जाते है. उत्तर भारत में ग्वालियर एकमात्र जगह है जहां राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है. यहां तैयार होने वाले राष्ट्रीय ध्वज देश के कोने-कोने तक जाते हैं. और संसद, लाल किला, दूतावास जैसी इमारतों पर लहराते हैं.

ग्वालियर में किया जाता है तिरंगा तैयार

ग्वालियर में राष्ट्रीय ध्वज को तैयार करने वाली संस्था मध्य भारत खादी संघ है. यह उत्तर भारत की पहली संस्था है. जहां पिछले कई सालों से राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जा रहे हैं.स्वतंत्रता दिवस के लिए संस्था में तैयार हो रहे राष्ट्रीय ध्वज देश के अलग-अलग कोनों में पहुंचते हैं. यहां के बने तिरंगे सरकारी, गैर सरकारी इमारतों पर शान से लहराए जाते हैं.

90 फीसदी महिला कर्मचारी तैयार करती हैं तिरंगा

सबसे खास बात यह है कि सिर्फ साल 2025 में अभी तक यहां से 50 हजार से अधिक तिरंगे देश के कोने कोने में 20 राज्यों में पहुंच चुके है. जिनकी कीमत लगभग डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा है. यह देश की इकलौती संस्था है जहां पर 90 फीसदी महिला कर्मचारी राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रही हैं. यहां पर कपड़ा काटने से लेकर उनको तैयार और उनकी टेस्टिंग महिलाएं ही करती हैं.

20 टेस्टिंग से होकर गुजरना पड़ता है.

संस्था के सचिव और महिला कर्मचारी के मुताबिक देश में राष्ट्रीय ध्वज तीन जगह तैयार होते हैं. जिसमें कर्नाटक के हुबली, मुंबई और उत्तर भारत में एक मात्र जगह ग्वालियर में तैयार होते हैं. यहां पर अलग-अलग साइज के राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जाते हैं. विशेषकर यहां 2 वाई 3, 3 वाई 4.50 और 4 वाई 6 के राष्ट्रीय ध्वज तैयार होते हैं. राष्ट्रीय ध्वज को तैयार करने के लिए लगभग 20 टेस्टिंग से होकर गुजरना पड़ता है. और तय मानकों का विशेष ख्याल रखा जाता है. जिसमें कपड़े की क्वालिटी, चक्र का साइज, रंग जैसे मानक शामिल हैं. किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है जांच के बाद ही हमारा राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह तैयार होकर बाहर निकलता है.

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मध्य भारत खादी संघ का इतिहास

मध्य भारत खादी संघ केंद्र की स्थापना सन 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला. इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां भी जुड़ी हैं. इसके बाद सन 2016 में इस संस्था को प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करने की मान्यता प्राप्त हुई. तब से लगातार यहां पर राष्ट्रीय ध्वजों का निर्माण किया जा रहा है.

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