MP News: बीना विधायक निर्मला सप्रे (Nirmala Sapre) की विधानसभा सदस्यता को रद्द करने को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार (Umang Singhar) ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ (Indore Bench) में याचिका लगाई थी. आज इस पर सुनवाई करते हुए विधायक निर्मला सप्रे और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) को नोटिस जारी किया गया है. सिंघार की ओर से पैरवी अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल और जयेश गुरनानी ने की.
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अगली सुनवाई की मांग की
राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी मौजूद रहे. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले की पैरवी महाधिवक्ता प्रशांत सिंह करेंगे. जो जबलपुर से आकर इंदौर खंडपीठ में पैरवी करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट से कहा कि अगली पैरवी की तारीख 19 दिसंबर की जाए.
तोमर को व्यक्तिगत रूप से बनाया पक्षकार
मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाया गया है. इसके पीछे जो कारण बताया है कि पहले तोमर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं.
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संविधान में क्या जिक्र मिलता है?
भारतीय संविधान की अनुसूची 10 के पैराग्राफ 2(1)(क) के अनुसार यदि कोई विधायक दल बदल करता है तो उसकी विधानसभा से सदस्यता निरस्त की जानी चाहिए. यदि दल-बदल के बाद ऐसे व्यक्ति को विधायक रहना हो तो उसे फिर से चुनाव लड़ना पड़ता है.
विधानसभा अध्यक्ष ने नहीं लिया निर्णय
निर्मला सप्रे की विधानसभा सदस्यता को रद्द करने को लेकर उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के पास याचिका लगाई थी. इस याचिका पर तोमर ने निर्मला सप्रे को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था. इस नोटिस के जवाब में सप्रे ने कहा था कि उन्होंने कोई दल-बदल नहीं किया है. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कोई निर्णय नहीं लिया. उमंग सिंघार ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका लगाई.