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MP News: इंदौर कलेक्टर की दरियादिली! जमा की 34 बच्चों की 65 हजार रुपये फीस

Indore: Students of Sandipani School

इंदौर: सांदीपनि स्कूल के छात्र

MP News: इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने न सिर्फ प्रशासनिक संवेदनशीलता बल्कि इंसानियत की बेहतरीन मिसाल भी पेश की है. उन्होंने सरकारी स्कूल के 9वीं से 12वीं कक्षा के 34 बच्चों की फीस भरी है. कलेक्टर की इस पहल से कई ऐसे बच्चों को पढ़ाई का मौका मिला है, जो फीस नहीं भर पाने की वजह से पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो गए थे. अब ये ही बच्चे खूब पढ़ाई कर के प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते हैं.

कलेक्टर ने 65 हजार रुपये फीस दी

भविष्य से भेंट कार्यक्रम के तहत पिछले महीने कलेक्टर आशीष सिंह मूसाखेड़ी स्थित सांदीपनी शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने पहुंचे थे. यहां उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के साथ उनसे बात भी की थी. इस दौरान कई बच्चों ने उन्हें अपनी तरह-तरह की परेशानियां बताई थीं. कुछ बच्चों ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, तो कुछ ने बताया कि उनके माता-पिता नहीं है. इस वजह से उन्हें स्कूल और परीक्षा फीस भरने में बहुत समस्या आ रही है.

इसके बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने स्कूल के प्रिंसिपल से बात कर उन्हें इस तरह के बच्चों की लिस्ट बनाने को कहा जिस पर प्रिंसिपल ने ऐसे 34 बच्चों की लिस्ट बनकर कलेक्टर को दी, जिनकी साल भर की 65,600 रुपये फीस भर दी.

बच्चों ने कलेक्टर का आभार जताया

जब विस्तार न्यूज़ ने इन छात्र-छात्राओं से बात की, तो उनमें से कुछ के माता-पिता मजदूरी करते हैं, तो कुछ के माता-पिता दोनों नहीं हैं. बड़ी मुश्किल से घर चलता है. फीस मांगने पर पढ़ाई छोड़कर काम करना पड़ता है. अब कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा फीस भरने के बाद इन सभी ने यकीन दिलाया है कि ये खूब पढ़ेंगे, इनमें से कोई अधिकारी बनना चाहता है तो कोई नर्स. ये बच्चे कलेक्टर का धन्यवाद करते नहीं थक रहे.

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कलेक्टर ने शहर की जनता से की अपील

वहीं कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि ये बच्चे पढ़ना चाहते थे. इनकी पढ़ाई न रुके इस वजह से यह पहल की गई है. उन्होंने विस्तार न्यूज़ के माध्यम से शहर के अन्य लोगों से भी अपील की है कि वे भी आगे आए और इस तरह के लोगों की स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए मदद करें.

स्कूल की सालभर की फीस 1200 रुपये और परीक्षा शुल्क 1500 रुपये है. गरीब तबके से आने वाले इन बच्चों के लिए ये राशि भी बहुत बड़ी थी. लेकिन अब वे न सिर्फ स्कूल जा सकेंगे, बल्कि परीक्षा भी दे सकेंगे और आगे भी बढ़ेंगे.

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