Indore News: देश भर में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इन मामलों में पुलिस की उदासीनता भी पीड़ितों के दर्द की बड़ी वजह है. पहले तो पुलिस सही समय पर एक्शन नहीं लेती. अगर एक्शन लेने के बाद कोर्ट का आदेश भी आ जाए तो मामले को टालने में कोई कसर नहीं छोड़ती. ऐसा ही कुछ इंदौर में देखने को मिला है.
इंदौर में साइबर अपराधियों ने शेयर मार्केट में इंवेस्टमेंट के बहाने महिला से 13 लाख से ज्यादा रुपए ठग लिए. शिकायत के बाद पुलिस ने ठगों का अकाउंट तो सीज करवा दिया लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद सही समय पर पीड़ित को उसके रुपए नहीं मिले. जानिए क्या है पूरा मामला-
जानें पूरा मामला
इंदौर की रहने वाली पूनम नामली हाउस वाइफ हैं. वह नामली राजघराने की बहू हैं. हाउस वाइफ होने की वजह से वह सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहती हैं. एक दिन फेसबुक स्क्रॉल करते हुए उन्हें स्टॉक मार्केट के निःशुल्क टिप्स देने का लिंक नजर आया. शेयर मार्केट में इंट्रेस्ट होने की वजह से उन्होंने लिंक ओपन किया तो वहां से उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करवा दिया गया. इस ग्रुप में शेयर मार्केट के टिप्स आने लगे. फिर ठगों ने उन्हें इंस्टीट्यूशनल डी मैट अकाउंट में बड़ा प्रॉफिट होने का लालच देकर टेलीग्राम चैनल ज्वाइन करवा दिया. वहां से मोबाइल ऐप डाउनलोड करवाकर उसमें अमेरिकन शेयर बाजार में इंट्रा डे ट्रेडिंग करवाने लगे.
2 महीने में 13.25 लाख का फ्रॉड
पहले 2 महीने तो वह सारी एक्टिविटी देखती रही. फिर 30 हजार रुपए का अमाउंट डाला, जो एक ही दिन में डबल हो गया. इसके बाद साइबर अपराधियों ने इंवेस्टेमेंट के नाम पर 6 अलग-अलग बैंक अकाउंट में 13.25 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए. काफी समय बाद जब रुपए मांगे तो 25 प्रतिशत टैक्स मांगने लगे. पूनम ने जमा रकम में से ही टैक्स काटने का कहा तो नहीं माने और रुपए भी नहीं लौटाए. तब फ्रॉड का खुलासा हुआ.
कोर्ट ने सुनाया फैसला
पूनम नामली ने बताया कि मामले की शिकायत पुलिस अधिकारियों को करने पर मामले की जांच क्राइम ब्रांच के मनोज राठौर को दी गई, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. साइबर क्राइम के पोर्टल पर शिकायत की तो क्राइम ब्रांच में बुलाया गया. मामले की जांच फिर से मनोज राठौर को दे दी गई. पुलिस ने कोर्ट जाने की सलाह दी और वकील भी अपना ही करवा दिया. जज ने 15 दिन में अमाउंट खाते में डालने का आदेश 22 मार्च 2024 को दिया था, लेकिन आज तक अमाउंट नहीं आया. क्राइम ब्रांच ने आदेश बैंक तक पहुंचाया ही नहीं. अब कोर्ट की अवमानना का केस लगाने की योजना बनाई जा रही है.
पुलिस का क्या है दावा
पुलिस का दावा है कि जिस अकाउंट में पूनम के रुपए गए थे, उनमें सिर्फ 30 हजार रुपए थे वह वापस हो गए. बाकी की रमक जिन अकाउंट में गई थी वह अलग-अलग राज्यों के थे. सभी में से पहले ही रुपए निकाले जा चुके थे. इसमें पुलिस की कोई भूमिका नहीं है. कोर्ट का आदेश बैंक के लिए होता है, जिस अकाउंट में रुपया जाता है उसमें और भी फ्रॉड का रुपया जाता है. कोर्ट अलग-अलग लोगों के रुपए देने का आदेश दे देता है. ऐसे में बैंक खुद तय करता है किसे कैसे रुपए देना है.
बताया जा रहा है कि जिस समय फ्रॉड के बैंक अकाउंट पुलिस ने फ्रिज करवाए थे, उस समय उसमें 40 लाख से अधिक रुपए थे. लेकिन पुलिस ने इतनी लापरवाही बरती कि सही समय पर कोर्ट का आदेश आने के बाद भी पूनम नामली को पैसे वापस नहीं मिल पाए.