Jabalpur News: गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. पवित्रता के कारण हर पूजा-पाठ में गंगाजल का उपयोग किया जाता है. इसी कारण भारत सरकार ने पोस्ट ऑफिस के जरिए घर-घर गंगाजल पहुंचाने की योजना शुरू की. साल 2016 से पोस्ट ऑफिस में गंगाजल की बोतल आम जनता के लिए उपलब्ध है लेकिन क्या आपको पता है जिस गंगाजल की बोतल को आप पोस्ट ऑफिस से खरीद रहे हैं. वह गंगाजल पीने लायक ही नहीं है.
बोतल पर लिखा है ‘नॉट फॉर ड्रिंकिंग’
पोस्ट ऑफिस में बिकने वाली गंगाजल की बोतल में ही लिखा हुआ है ‘नॉट फॉर ड्रिंकिंग’. जिस बोतलभर पानी को आप गंगाजल समझकर अपने घर ले जा रहे हैं उसे गंगाजल को बिल्कुल भी ना पिएं. अब सवाल यह उठता है कि जिस गंगाजल को पीने के लिए ही खरीदा जाता है ऐसे में वह गंगाजल पीने योग्य कैसे नहीं हो सकता. इस मामले में जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता और RTI एक्टिविस्ट अखिलेश त्रिपाठी ने RTI के जरिए इस सवाल का जवाब मांगा.
गंगाजल का ट्रीटमेंट नहीं होता – डाक विभाग
डाक विभाग में लगाई गई RTI से जो जवाब आया है वह भी हैरान कर देने वाला है. RTI से मिली जानकारी के मुताबिक गंगाजल प्रोजेक्ट के तहत गंगोत्री से गंगाजल उत्तरकाशी के मुख्य डाकघर में लाया जाता है. यहीं पर पानी को साफ करके बोतल में भरने की पूरी प्रक्रिया मानवीय तरीके से ही की जाती है. इस पूरी प्रक्रिया को करने के लिए किसी भी तरह का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट या पैकेजिंग प्लांट स्थापित नहीं किया गया है. डाक विभाग के जवाब में लिखा हुआ है कि पूरी प्रक्रिया में डाक विभाग ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के तहत ही प्रोजेक्ट संचालित कर रहा है.
RTI एक्टिविस्ट का कहना है कि गंगाजल का प्रयोग सबसे ज्यादा आचमन करने के लिए होता है. गंगाजल इसलिए खरीदा जाता है कि वह घर में रख सकें. अगर ऐसे में वह गंगाजल पीने योग्य नहीं है तो फिर ऐसे प्रोजेक्ट को बंद किया जाना चाहिए या फिर ऐसा गंगाजल उपलब्ध कराना चाहिए जो पीने लायक हो.
120 रुपये प्रति लीटर मिलता है गंगाजल
डाक विभाग में गंगाजल 30 रुपये का 250 एमएल मिलता है यानी करीब 120 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से गंगाजल डाक विभाग से बेचा जा रहा है. लाखों की संख्या में हर साल गंगाजल की बोतल बेची जा रही हैं.