MP News: बैतूल लोकसभा सीट पर फिर आमने-सामने होंगे बीजेपी के दुर्गादास उईके और कांग्रेस के रामू टेकाम

Lok Sabha Election 2024: बैतूल सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) कैटगरी के लिए रिजर्व्ड है. इस लोकसभा सीट से वर्तमान में दुर्गादास उईके सांसद हैं. आमचुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने दुर्गादास उईके पर फिर से भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने रामू टेकाम को अपना प्रत्याशी बनाया है.
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बीजेपी ने दुर्गादास उईके पर फिर से भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने रामू टेकाम को अपना प्रत्याशी बनाया है.

Lok Sabha Election2024: बैतूल मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीट में से एक है. इस सीट पर पिछले 28 सालों से बीजेपी का उम्मीदवार जीतता आ रहा है. आरिफ बेग जैसे कद्दावर नेता जिन्होंने देश की राजनीति में अहम भूमिका अदा की और असलम शेर खान जिन्होंने खेल की दुनिया से राजनीति का सफर तय किया. दोनों धुरंधर इसी सीट से जीतकर संसद तक पहुंचे.

इस सीट पर साल 1952 से चुनाव हो रहे हैं. 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में जीते दोनों उम्मीदवार एक पार्टी यानी कांग्रेस से थे. ये भारत की कुछ चुनिंदा सीट में से एक है जहां ऐसा हुआ.

तीन जिलों बैतूल, हरदा और खंडवा में फैली इस सीट में आठ विधानसभा शामिल हैं. बैतूल जिले की मुल्ताई, आमला, बैतूल, घोड़ाड़ोंगरी, भैंसदेही; हरदा जिले की टिमरनी, हरदा और खंडवा जिले की हरसूद विधानसभा सीट शामिल हैं. इन विधानसभा में छह बीजेपी के पास और दो कांग्रेस के पास हैं. हरदा की दोनों यानी टिमरनी और हरदा सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं.

बैतूल सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) कैटगरी के लिए रिजर्व्ड है. इस लोकसभा सीट से वर्तमान में दुर्गादास उईके सांसद हैं. आमचुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने दुर्गादास उईके पर फिर से भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने रामू टेकाम को अपना प्रत्याशी बनाया है.

आइए जानते हैं दोनों उम्मीदवारों के बारे में…

दुर्गादास उईके – बैतूल सीट से वर्तमान सांसद

संपत्ति – 1.5 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य(0)

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने वर्तमान सांसद पर भरोसा जताते हुए दुर्गादास उईके को टिकट दिया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहने वाले उईके टीचर रह चुके हैं. कई सामाजिक और संगठन स्तर पर काम किए हैं. उईके 22 साल से ज्यादा समय से संघ से जुड़े रहे.

साल 2019 में पहली बीजेपी ने चुनाव लड़ने का पहला मौका दिया. इस चुनाव में उईके को 8 लाख, 11 हजार, 248 वोट मिले और कांग्रेस के रामू टेकाम को 4 लाख, 51 हजार, 7 वोट मिले. उईके को 3 लाख, 60 हजार, 241 वोट से जीत मिली.

2024 में फिर से दोनों उम्मीदवार आमने-सामने हैं.

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रामू टेकाम – कांग्रेस के उम्मीदवार

संपत्ति – 7 लाख रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य(0)

आगामी आम चुनाव में कांग्रेस ने रामू टेकाम को फिर से अपना प्रत्याशी बनाया है. पेशे से वकील टेकाम को कमलनाथ का करीबी माना जाता है. साल 2006 से टेकाम कांग्रेस में सक्रिय हैं. एमपी कांग्रेस के आदिवासी यूथ विंग के अध्यक्ष रह चुके हैं. साल 2023 में कांग्रेस ने टेकाम को मध्यप्रदेश कांग्रेस का आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.

रामू टेकाम ने अपना पहला लोकसभा चुनाव साल 2019 में बैतूल लोकसभा सीट से लड़ा था. इस चुनाव में टेकाम का मुकाबला दुर्गादास उईके से हुआ था. 2019 के चुनाव में टेकाम को 4 लाख, 51 हजार, 7 वोट मिले थे. बीजेपी के उम्मीदवार दुर्गादास उईके से 3 लाख, 60 हजार, 241 वोट से हार गए थे.

साल 2023 में हुए एमपी विधानसभा चुनाव में टेकाम ने कांग्रेस से भैंसदेही सीट से टिकट मांगा था. लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. इसके बदले में कांग्रेस ने फिर से उन्हें आम चुनाव 2024 के लिए उम्मीदवार बना दिया.

दुर्गादास उईके बनाम रामू टेकाम

दोनों नेता अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं. दोनों के पास संगठन स्तर पर काम करने का लंबा अनुभव रहा है. दुर्गादास उईके प्लस प्वॉइंट ये है कि वे लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. जनता के बीच जाना पहचाना चेहरा बन चुके हैं. वहीं कांग्रेस के रामू टेकाम आदिवासी चेहरे के रूप में सामने आए हैं.

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क्या कहते हैं जातिगत समीकरण

बैतूल लोकसभा सीट से कुल वोटर्स की बात करें तो 17 लाख से ज्यादा हैं. सीट पर 15 फीसदी से ज्यादा अनुसूचित जनजाति वर्ग है. अनुसूचित जाति 10 फीसदी से ज्यादा, मुस्लिम वर्ग 5 फीसदी से ज्यादा और सवर्ण वर्ग 20 फीसदी से ज्यादा है बाकी ओबीसी और दूसरे वर्ग शामिल हैं.

बैतूल लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास

इस सीट पर पिछले 28 सालों से बीजेपी का कब्जा है. इस सीट से सबसे ज्यादा चार बार यानी साल 1996, 1998, 1999 और 2004 में बीजेपी के विजय खंडेलवाल सांसद रहे. बैतूल सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था. इसमें कांग्रेस के दो सांसद भीकूलाल चांडक और नरेंद्र कुमार सालवे चुनकर आए थे. इस सीट से पहला गैर कांग्रेसी सांसद सुभाष चंद्र आहूजा 1977 में चुनकर आए.

तीन सांसद ऐसे रहे जिन्होंने इस सीट से दो बार चुनाव जीता. इनमें नरेंद्र कुमार सालवे ने साल 1967 और 1971, असलम शेर खान ने 1984 और 1991 में कांग्रेस टिकट से चुनाव जीता. वहीं बीजेपी की ज्योति धुर्वे ने साल 2009 और 2014 में सांसद चुनी गईं.

2009 में परिसीमन के बाद से ये सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए रिजर्व्ड है. तब से बीजेपी के ही उम्मीदवारों ने इस सीट को फतेह किया है.

(source : myneta.info, digital sansad, eci)

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