MP News: मध्य प्रदेश की पंचायत में वित्तीय अनियमितताओं का बड़ा मामला सामने आया है. वित्त विभाग द्वारा कराई गई स्थानीय निधि लेखा परीक्षा (लोकल ऑडिट) में राज्य की 11 जिला पंचायत, 48 जनपद पंचायत और 4,690 ग्राम पंचायत में से करीब 250 का रुपये की गड़बड़ी उजागर हुई है.
200 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी आई सामने
जिन जिला पंचायत के खातों में जांच की गई उनमें विदिशा, खरगोन, बड़वानी, सिवनी, उज्जैन, सीधी, सागर, दमोह, टीकमगढ़, ग्वालियर और मुरैना शामिल है. साथ ही कई जनपद और ग्राम पंचायत के खातों में भी जांच की गई. ऑडिट रिपोर्ट में 125 करोड़ के अनियमित का भुगतान, 70 करोड़ से अधिक का अनुचित खर्च और 34 करोड़ बिना किसी बिल की भुगतान का मामला सामने आया है.
बिना कोटेशन पूरी हुई निविदा प्रक्रिया
16 करोड़ की संदिग्ध लेनदेन, 10 करोड़ ऐसे कार्यों में खर्च किया गया, जिनमें कोई पूर्ण स्वीकृति नहीं ली गई. इसके साथ ही ऑडिट रिपोर्ट में 12 लाख के गबन की पुष्टि भी हुई है. 16 लाख की दोहरी राशि के तहत भुगतान भी किया गया है. पंचायत को टैक्स मछली पालन, मेला से होने वाली आय, लीज दुकान का किराया से सबसे ज्यादा फंड मिलता है. रिपोर्ट में यह बात भी जानकारी सामने आई है कि पंचायत ने बिना किसी कोटेशन निविदा प्रक्रिया के करोड़ों रुपए के सामान खरीद भुगतान कर दिए जो नियम का सीधा उल्लंघन है.
बैंक खातों में जमा, कैश बुक से मिलान नहीं
लोकल ऑडिट में यह बात निकाल कर सामने आई है कि ज्यादातर जिला और जनपद पंचायत ने बजट का स्वीकृति बिना सक्षम अधिकारियों से प्राप्त किए ही खर्च कर दिया. सिर्फ विदिशा, सागर, दमोह जिला पंचायत और छिंदवाड़ा पंचायत की ऐसी रही जिन्होंने विधिवत अनुमति ली थी. इसके अलावा पंचायत के बैंक खातों में जमा कैश बुक से मिलान नहीं खा रही है. जिससे साफ होता है कि व्यक्ति लेखा-जोखा में गंभीर गड़बड़ी की गई है.
सचिव-सरपंच की मिली भगत
जांच के दौरान यह पाया गया है कि बिल को पास करने में सचिव और सरपंच की मिलीभगत हुई है. अधिकांश ग्राम पंचायत में सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर से ही रकम निजी कंपनियों को ट्रांसफर की गई है. ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य संबंधी विषयों को लेकर भी गड़बड़ी हुई है. जहां पर काम नहीं हुए हैं. वहां सबसे पहले भुगतान करने का मामला भी उजागर हुआ है. इस मामले में बड़े स्तर पर पूरे प्रदेश भर में जांच करने की सिफारिश जल्द ही पंचायत विभाग कर सकता है.
