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MP News: मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल की बेटी प्रतिज्ञा सिंह ने नर्मदा परिक्रमा का किया शुभारंभ, 1330 किमी लंबी दूरी 2 सालों में करेंगी पूरी

Prahlad Singh Patel's daughter Pratigya Singh Patel inaugurated the Narmada Parikrama.

प्रहलाद सिंह पटेल की बेटी प्रतिज्ञा सिंह पटेल ने नर्मदा परिक्रमा का शुभारंभ किया.

MP News: मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास और श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल की बेटी प्रतिज्ञा सिंह पटेल ने परिवारजनों के साथ अमरकंटक में मां नर्मदा के उद्गम स्थल पर पूजा-अर्चना कर विधि-विधान के साथ आज से अपनी 1330 किलोमीटर लंबी नर्मदा परिक्रमा का शुभारंभ कर दिया है.

प्रतिज्ञा सिंह पटेल की यह नर्मदा परिक्रमा अपने आप में विशिष्ट और रचनात्मक होगी. वे लगभग दो वर्षों में नर्मदा परिक्रमा पूर्ण करेंगी और इस दौरान नर्मदा नदी के दोनों तटों के प्राकृतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृश्यों को चित्रों के माध्यम से संजोएंगी.

7 किलोमीटर लंबी विशेष पेंटिंग तैयार करेंगी

अमरकंटक से लेकर मां नर्मदा के अरब सागर में संगम तक के संपूर्ण सफर को प्रतिज्ञा सिंह पटेल चित्रांकन के माध्यम से प्रस्तुत करेंगी. 1330 किलोमीटर की इस यात्रा के हर 150 किलोमीटर के दृश्यों को एक किलोमीटर लंबी पेंटिंग में उकेरा जाएगा.

अमरकंटक, ओंकारेश्वर जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों के लिए डेढ़ से दो किलोमीटर तक की पेंटिंग बनाई जाएगी. इस प्रकार पूरी नर्मदा परिक्रमा को लगभग 7 किलोमीटर लंबी पेंटिंग में रूपांतरित करने की तैयारी है. इस यात्रा में प्रतिज्ञा की मामी भी उनके साथ रहेंगी. पेंटिंग से जुड़े उपकरणों और आवश्यक सामग्री के लिए एक विशेष रूप से तैयार मिनी ट्रक के माध्यम से यात्रा की जाएगी.

ड्रोन और प्राकृतिक रंगों का होगा उपयोग

नर्मदा के किनारे की जिन जगहों पर पहुंचना कठिन होगा, वहां ड्रोन के माध्यम से वीडियो और फोटोग्राफी कराई जाएगी, जिसके आधार पर चित्र बनाए जाएंगे. प्रतिज्ञा ने स्पष्ट किया है कि वे अपनी पेंटिंग में एक्रेलिक या सिंथेटिक रंगों के बजाय पर्यावरण-अनुकूल पत्थरों, गोंद और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से बने रंगों का उपयोग करेंगी.

पर्यावरण संरक्षण का संदेश

इस नर्मदा परिक्रमा का मुख्य उद्देश्य नर्मदा मैया के प्रति आस्था के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जन-जागरुकता लाना है. प्रतिज्ञा का कहना है कि प्राचीन काल में लोग नर्मदा को स्वच्छ रखने के लिए तांबे के सिक्के और कपास के वस्त्र प्रवाहित करते थे, जो प्रकृति के अनुकूल थे. आज प्लास्टिक और कृत्रिम वस्तुएं नदी के प्रदूषण का कारण बन रही हैं. अपनी इस यात्रा और चित्रों के माध्यम से वे लोगों को नर्मदा मैया के संरक्षण और स्वच्छता का संदेश देंगी.

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