Vairagyanand Giri wrote a letter to CM Mohan Yadav: पंचायती निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज उर्फ मिर्ची बाबा ने एक गंभीर और तथ्यपूर्ण पत्र के माध्यम से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मांग की है कि स्वामी परमानंद गिरी महाराज और उनके शिष्य ज्योतिर्मयानंद गिरी महाराज की गतिविधियों की सीबीआई या एसआईटी से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, ताकि संन्यास धर्म की गरिमा, संत समाज की प्रतिष्ठा और जनआस्था को और अधिक कलंकित होने से बचाया जा सके.
‘धर्म, अध्यात्म के नाम अपना स्वार्थ साध रहे’
स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने अपने पत्र में लिखा है कि धर्म, अध्यात्म और सेवा के नाम पर कुछ लोग न केवल अपने व्यक्तिगत स्वार्थ साध रहे हैं, बल्कि धर्म की आड़ में अपराध और तंत्र-मंत्र जैसी अमानवीय गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रहे हैं. विशेष रूप से परमानंद गिरी महाराज और उनके शिष्य ज्योतिर्मयानंद गिरी पर जो आरोप सामने आ रहे हैं, वे अत्यंत चिंताजनक और संत समाज की मूल आत्मा के सर्वथा विपरीत हैं. मुख्यमंत्री को संबोधित इस विस्तृत पत्र में स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने कई प्रमुख बिंदुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिलाया है.
संन्यास धर्म की मर्यादा का खुला उल्लंघन
स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने पत्र में लिखा है कि स्वामी परमानंद गिरी महाराज ने एक संन्यासी होते हुए भी पारिवारिक वंश परंपरा को बढ़ावा देते हुए अपने परिजनों और शिष्यों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया है, जो सनातन संन्यास परंपरा के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है. पत्र में आशंका जताई गई है कि कई साधुओं की असामयिक और रहस्यमयी मृत्यु के पीछे इन दोनों व्यक्तियों की संदिग्ध भूमिका हो सकती है. कहा गया है कि तांत्रिक क्रियाओं, विशेषकर ‘मारण प्रयोग’, के माध्यम से विरोधी संतों को मानसिक और आध्यात्मिक क्षति पहुंचाई जा रही है.
बालिकाओं और मानसिक रूप से दुर्बल बच्चों की संदिग्ध मौतें
स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने पत्र में लिखा है कि परमानंद अस्पताल, इंदौर समेत अन्य आश्रमों में 15-17 वर्ष की किशोरियों और मंदबुद्धि बच्चों की असमय मृत्यु की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें इन लोगों की भूमिका की निष्पक्ष जांच आवश्यक है.
धार्मिक संपत्तियों पर किया अवैध कब्जा
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उल्लेख है कि धार्मिक संस्थानों, गुरुकुलों और आश्रमों की संपत्तियों पर कथित अवैध कब्जे तथा ट्रस्टों में वित्तीय अनियमितताओं की कई शिकायतें सार्वजनिक रूप से चर्चा में हैं. चार धाम मंदिर उज्जैन में भी शांति स्वरूपानंद जी महाराज के आश्रम को भी गुंडागर्दी कर हड़प लिया गया है. सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर धर्म के नाम पर आर्थिक लाभ अर्जित करना भी आरोपों में शामिल है.
भोग-विलास और दुराचार में लिप्तता का आरोप
पत्र में यह भी कहा है कि संन्यासी वेश में रहते हुए परमानंद गिरी महाराज विवाह, संतान, भोग-विलास और विलासी जीवनशैली में लिप्त हैं, जो एक भ्रमित करने वाला उदाहरण प्रस्तुत करता है और युवाओं में संत समाज के प्रति गलत संदेश जाता है.
स्वामी वैराग्यानंद गिरी ने चेताया कि यदि समय रहते इन गतिविधियों पर कठोर और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, तो इसका परिणाम न केवल संत समाज, बल्कि पूरे सनातन धर्म और जनमानस की आस्था के लिए विनाशकारी होगा. उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा कि धार्मिक संस्थाओं को अपराधियों के अड्डों में तब्दील होने देना, भारत की सनातन विरासत और आध्यात्मिक परंपरा के साथ विश्वासघात के समान होगा.
‘कार्रवाई नहीं की गई तो परिणाम विनाशकारी होंगे’
स्वामी वैराग्यानंद गिरी ने चेताया कि यदि समय रहते इन गतिविधियों पर कठोर और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, तो इसका परिणाम न केवल संत समाज, बल्कि पूरे सनातन धर्म और जनमानस की आस्था के लिए विनाशकारी होगा. उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा कि धार्मिक संस्थाओं को अपराधियों के अड्डों में तब्दील होने देना, भारत की सनातन विरासत और आध्यात्मिक परंपरा के साथ विश्वासघात के समान होगा.
पत्र के अंत में उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से आग्रह किया है कि इन गंभीर मामलों की जांच सीबीआई या राज्य के स्वतंत्र विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराई जाए. दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई हो और उन्हें सभी धार्मिक और सार्वजनिक पदों से हटाया जाए. बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग और ट्रस्ट अधिनियमों के अंतर्गत मामले की सघन जांच कराई जाए. इसके साथ ही उन्होंने अखाड़ा परिषद और अन्य धर्माचार्य संस्थाओं से भी अपील की है कि ऐसे लोगों को संत पद और धार्मिक मंचों से तत्काल हटाकर संत परंपरा की गरिमा की रक्षा करें.
