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मुरैना महापौर ने सरेआम उड़ाई कानून की धज्जियां, तलवार से सार्वजनिक मंच पर काटे 5 केक, वीडियो वायरल

Morena mayor

तलवार से केक कांटते हुए मुरैना महापौर शारदा सोलंकी

MP News: सोशल मीडिया में वायरल होने की मानो आज कल होड़ लगी हुई है. इस लाइन में जनप्रतिनिधि भी अब ज्यादा पीछे नहीं हैं. ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से सामने आया है. मुरैना महापौर शारदा सोलंकी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. जिसमें महापौर तलवार से केक काटते नजर आ रही हैं. 

आपको बता दें कि बीते दिन महापौर शारदा सोलंकी का जन्मदिन था. जन्मदिन के अवसर पर एक कार्यक्रम के दौरान उनके कार्यकर्ताओं द्वारा 5 केक लाए गए. केक काटने के लिए चाकू के बजाय तलवार रखी गई. बड़ी बात ये है कि उसी तलवार का इस्तेमाल करके महापौर द्वारा सार्वजनिक मंच पर उन केक को काटा गया और हाथ जोड़ कर सबका अभिनंदन किया. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद से मुरैना महापौर सुर्खियों में बनी हुई हैं.

कानून की सरेआम उड़ाई धज्जियां

महापौर का इस तरह सार्वजनिक मंच पर तलवार का इस्तेमाल करना कानून व्यवस्था पर अब कई सवाल खड़े कर रहा है. कानून व्यवस्था का पाठ पढ़ाने वाले जनप्रतिनिधि ही जब उसकी धज्जियां उड़ाने में लगे हुए है. कानूनी तौर पर सार्वजनिक रूप से तलवार का दुरुपयोग करना दंडनीय अपराध है. आर्म्स एक्ट के तहत ऐसा करने वाले व्यक्ति को कानूनी कार्यवाई का सामना करना पड़ सकता है.

कौन है शारदा सोलंकी?

शारदा सोलंकी जुलाई 2022 में मुरैना नगर निगम की महापौर चुनी गई थीं. उन्होंने कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा और भाजपा उम्मीदवार मीना मुकेश जाटव को लगभग 14,684 वोटों से हराया था. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई. अप्रैल 2024 में उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव और तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की थी.

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पूर्व में लगें थे फर्ज़ीवाड़े  के आरोप

चुनाव जीतने के कुछ समय बाद उनकी 10वीं की मार्कशीट और जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवाद खड़ा हुआ, और उनपर आरोप लगा कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज पेश किए हैं. जांच में पाया गया कि जिस रोल नंबर से उन्होंने परीक्षा पास करने का दावा किया था, वह असल में एक अन्य छात्र का था जो परीक्षा में फेल हुआ था.

अक्टूबर 2024 में मुरैना की अदालत ने उनके खिलाफ IPC की धारा 420, 467 और 468 के तहत FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे. बाद में उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की जिससे उन्हें अस्थायी राहत मिली, लेकिन याचिका खारिज कर दी गई.

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