MP News: मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल अपना पद संभालने के बाद से ही लगातार चर्चा में हैं. हेमंत खंडेलवाल ने ने विस्तार न्यूज़ के ग्रुप एडिटर ब्रजेश राजपूत से Exclusive बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई अहम मुद्दों पर खुलकर बातचीत की. उन्होंने पार्टी और संगठन के समन्वय को लेकर भी चर्चा की.
‘लंबे समय तक सरकार रहती है, तो चुनौती बढ़ जाती है’
मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने चैनल के ग्रुप एडिटर ब्रजेश राजपूत से खास बातचीत के दौरान संगठन की चुनौतियों के बारे में बात की. उन्होंने कहा, ‘जब पार्टी लंबे समय तक सरकार में रहती है तो संगठन की चुनौतियां बढ़ जाती हैं. लंबे समय की सरकार में जनता और कार्यकर्ता हमसे काफी अपेक्षा करते हैं. कई बार ऐसा होता है कि हम उनकी अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं. इसलिए जनता की क्या अपेक्षा है, कार्यकर्ताओं की क्या अपेक्षा है. उनकी अपेक्षाओं को समझना, जानना होता है. फिर उन कामों को जानने के बाद जो काम संगठन के हैं, उसे संगठन को देना होता है. जो काम सत्ता के हैं, उसे सरकार को बताना होता है.’
‘हर दिल में कमल खिले, यही हमारी कोशिश है’
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा, ‘जब आप सफलता के शिखर पर होते हैं तो आपकी चुनौतियां और बढ़ जाती हैं. ये बात सच है कि हमने 29 की 29 लोकसभा सीट जीतीं, हमने 164 विधानसभा सीटें जीतीं. लेकिन ये भी सच है कि हमने हर विधानसभा नहीं जीती. ये भी सच है कि हमने हर बूथ नहीं जीता है. ये भी सच है कि शायद कोई एक ऐसा वर्ग होगा, जिनसे हमारी दिल की दूरी हो सकती है. संगठन का ये दायित्व है कि हर दिल में कमल खिले, हर बूथ और हर विधानसभा हम जीतें. इसके लिए हमको प्रयास करना चाहिए.’
‘अनुशासन के बिना पार्टी सफल नहीं हो सकती’
वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने पार्टी के अनुशासन को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा, ‘पार्टी एक परिवार की तरह होती है. कोई भी परिवार, कोई भी दल तब तक सफल नहीं होगा, जब तक उसमें अनुशासन नहीं होगा. अनुशासनहीनता या फिर किसी कार्यकर्ता की कोई गलती होती है, तो हम उसका समाधान करते हैं. अगर हमको लगता है कि समझाइश की जरूरत है, तो हम समझाइश देते हैं. अगर हमको लगता है कि चेतावनी की जरूरत है, तो हम चेतावनी भी देते हैं. अगर कार्रवाई की जरूरत होती है, तो वह भी करते हैं. व्यवहार में सहजता होती चाहिए, लेकिन निर्णय लेने में कठोरता होनी चाहिए. पार्टी के लिए कोई भी फैसला लेने में हम पीछे नहीं है. इसलिए अनुशासन बनाए रखना जरूरी है.’
