MP News: 13 दिसंबर 2023 को जब मध्य प्रदेश में नई सरकार का गठन हुई, तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि मोहन यादव सीएम बनेंगे. लेकिन उन्होंने कई बड़े चेहरों को पीछे करते हुए ना केवल सीएम की गद्दी संभाली, बल्कि मध्य प्रदेश के दूसरे राज्य से चल रहे सालों पुराने विवाद को घंटों में खत्म भी कर दिया. रविवार को भी मोहन यादव ने राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच चले दो दशक पुराने तीन नदियों के जल बंटवारे और बैराज विवाद का हल निकाल लिया.
जयपुर में राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा के साथ उन्होंने मुलाकात की, जिसमें पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदियों के पानी बंटवारों को लेकर दो दशकों से चल रहे कानूनी विवाद को बातचीत से हल कर दिया. इससे दोनों राज्यों के बीच ERCP लिंक प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली में त्रिपक्षीय समझौता भी हो गया है और इस तरह एमपी-राजस्थान के 26 जिलों में पानी का संकट कम किया जा सकेगा.
क्या होगा मध्यप्रदेश को फायदा
नदी जल विवाद के चलते मध्य प्रदेश के 13 जिले के लोग परेशान हो रहे थे. अब दो दशक से लंबित पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना का काम शुरू होगा, जिससे चंबल और मालवा के 13 जिलों को पानी मिल पाएगा. इससे मालवा-चंबल के तीन लाख हेक्टेयर पर सिंचाई और बढ़ पाएगी. इसमें इंदौर, उज्जैन, आगर-मालवा, शाजापुर, राजगढ़, देवास, ग्वालियर, मुरैना, गुना, भिंड, श्योपुर और धार जिले शामिल हैं.
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परियोजना की अहमियत को समझें
पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की फीजिबिलिटी रिपोर्ट साल 2004 में तैयार की गई थी. 2019 में राजस्थान सरकार ने आरसीपी का प्रस्ताव लाया गया. मगर अब दोनों ही परियोजना को एकीकृत कर दिया गया है, जो कि पांच साल बनकर तैयार हो जाएगी. इसकी लागत 75 हजार करोड़ है. इससे दोनों राज्यों के मकुल 26 जिलों में पेयजल और 5.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की समस्या दूर होगी.
क्या था विवाद
ERCP प्रोजेक्ट देश की सबसे बड़ी नदी जोड़ो परियोजना थी. इसके तहत ईआरसीपी के लिए बांध बनाने व पानी के शेयर को लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच विवाद हो गया. राजस्थान का तर्क था कि 2005 में हुए समझौते के अनुसार वो इस नदी पर बांध को बना रहे थे. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने ईआरसीपी के लिए एनओसी नहीं दी. इसके बाद राजस्थान सरकार ने खुद के खर्च पर ईआरसीपी को पूरा करने का फैसला किया. बांध बनने लगा तो मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.