MP News: एक मामूली प्रशासनिक चूक ने 26 साल के सुशांत बैस की जिंदगी लगभग तहस-नहस कर दी. टाइपिंग गलती के कारण सुशांत को एक साल जेल के अंदर बिताना पड़ा. एक लिपिकीय टाइपिंग-त्रुटि के कारण सुशांत का नाम राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के आदेश में किसी और व्यक्ति की जगह लिख दिया गया, और एक साल से अधिक समय तक जेल में रहा. वहीं मामले पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (जबलपुर) ने शहडोल कलेक्टर केदार सिंह को 2 लाख रुपये का जुर्माना देना आदेश दिया है. कोर्ट ने यह जुर्माना व्यक्तिगत तौर पर कलेक्टर की जेब से देने का निर्देश दिया है, और यह राशि सीधे सुशांत के खाते में जमा की जाएगी.
नामों के मिलान में गंभीर लापरवाही
हाई कोर्ट की जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए. के. सिंह ने मामले में सुनवाई की. इसमें कोर्ट ने पाया कि शहडोल कलेक्टर केदार सिंह ने नामों के मिलान में गंभीर लापरवाही दिखाई. उन्होंने आदेश पर हस्ताक्षर करते समय नीरजकांत द्विवेदी के बजाय गलती से सुशांत बैस का नाम जोड़ दिया. कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ टाइपिंग गलती नहीं, बल्कि विचारहीन हस्ताक्षर है.
‘बेटी के जन्म के समय उसे देख नहीं पाया’
सुशांत बताते हैं कि जेल में बिताया गया यह साल उनके दिल पर गहरे जख्म छोड़ गया है. इस दौरान, उनकी पत्नी गर्भवती थी और 13 मार्च को अनाया नाम की एक बेटी का जन्म हुआ. लेकिन सुशांत अपनी बेटी को पहली बार घर लौटने के बाद ही गोद में ले पाए, क्योंकि तब तक वह जेल में थे. सुशांत ने कहा कि इस पूरे समय ने उनके नौकरी के मौकों को भी खत्म कर दिया.
