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मध्य प्रदेश में श्रम कानून में हुआ बदलाव: अब फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को 40 दिन पहले देनी होगी धरना-प्रदर्शन की सूचना

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फाइल इमेज

MP News: मध्य प्रदेश में सरकार ने श्रम कानून में बदलाव किया है. केंद्र सरकार की ओर से तैयार किए गए नियम को मध्य प्रदेश में लागू किया जाएगा. इसके साथ ही कई अहम बदलाव किए गए हैं. विधानसभा में श्रम कानून विधेयक पर संशोधन नियम पर चर्चा होने के बाद इसे लागू करने की निर्देश दे दिए हैं.

विधानसभा में विधेयक पेश

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने गुरुवार को इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया. हालांकि विधायकों ने इसका विरोध किया. कांग्रेस और BJP दोनों के विधायकों का यह कहना था कि इस पर खास तौर पर मजदूर वर्ग के लोगों से चर्चा की जाए. इसके बाद ही लागू किया जाए. सदन में हंगामे के बीच विधेयक को पास कर दिया गया है. इसमें खास बात यह है कि फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को अचानक धरना प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं मिलेगी. अगर उन्हें किसी विषय को लेकर धरना देना है तो उन्हें 40 से 42 दिन पहले फैक्ट्री संचालक को इसकी जानकारी देनी होगी.

मजदूरों के कामकाज और रजिस्ट्रेशन में भी बदलाव

इसके साथ ही मजदूरों के कामकाज और रजिस्ट्रेशन में भी बदलाव किया गया है. अब बिजली वाली फैक्ट्री में काम करने वाले 40 मजदूरों की संख्या पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया है. इसके साथ ही पहले 20 मजदूर पर रजिस्ट्रेशन का नियम लागू नहीं होता था, लेकिन अब 40 मजदूरों की संख्या पर रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा. इन तमाम सारे बदलावों को लेकर कांग्रेस ने कहा था कि किसान और श्रमिक के बिना कानून अधूरा है.

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इस पर कांग्रेस की विधायकों का विरोध विधानसभा के भीतर देखने के लिए मिला, लेकिन अध्यक्ष ने सर्वसम्मति से इस नए विधायक को पास कर दिया है. मध्य प्रदेश में अब नए कार्यक्रम के तहत ही श्रमिकों को कम करना होगा. साथ ही कुछ और नियम बनाए गए हैं. इनमें फैक्ट्री संचालक पर जुर्माना और बिजली के रियायत पर भी उन्हें सरकार की तरफ से मदद मिलना शामिल है.

कैबिनेट की मिल चुकी है स्वीकृति

विधानसभा में श्रम कानून को लागू करने से पहले मोहन सरकार ने इसे विधेयक की मंजूरी दे दी थी. इसे बीते दिनों विधानसभा में भी पास किया गया है. ठेका श्रम अधिनियम 1970 के अंतर्गत वर्तमान में नियोजन के लिए आधारित 20 ठेका श्रमिक को बढ़ाकर 50 ठेका श्रमिक किया गया है. साथ ही कारखाना अधिनियम के तहत कई हम बदलाव किए गए हैं. इससे पहले श्रम कानून बदलाव करते हुए सरकार ने महिलाओं की भागीदारी को भी जगह दी थी. महिलाओं को 9 घंटे के बजाय 10 घंटे काम करने की सहूलियत देने का विधेयक भी बीते दिनों विधानसभा में पास हुआ था.

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