MP News: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश से नेताओं की फौज जल्द ही कैंप करने वाली है. बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के नेताओं के भी रोड शो, सभाएं और चुनावी प्रचार होने वाले हैं. कांग्रेस से पहले बीजेपी ने अपने कई नेताओं को जिम्मेदारी दे दी है. सांसद से लेकर प्रदेश संगठन प्रभारी को भी कई अहम विधानसभा और लोकसभा के अंतर्गत आने वाली सीटों की जिम्मेदारी दी गई है. हालांकि ओबीसी कार्ड को ध्यान में रखते हुए दोनों ही दलों ने अपने नेताओं की टीम बना दी है. माना जा रहा है कि 15 अक्टूबर के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के नेता बिहार चुनाव में दम दिखाते हुए नजर आएंगे. बिहार में आखिर क्यों है मध्य प्रदेश के नेताओं का दबदबा, ओबीसी को फ्रंट फेस बनाकर कैसे प्रचार करेंगे. इस रिपोर्ट में देखिए सारी जानकारी.
भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने तैयारियां तेज की
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं. मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में कांग्रेस, बीजेपी के नेता बिहार चुनाव में चुनाव प्रचार करते हुए नजर आएंगे. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से लेकर ओबीसी वर्ग के कई नेता सभा, रोड शो और चुनाव प्रचार में दिखाई देंगे. फिलहाल अभी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा खजुराहो से सांसद विष्णुदत्त शर्मा, पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया, प्रदेश प्रभारी महेंद्र सिंह चौहान समेत कई और नेता इन दिनों बिहार में इलेक्शन कैंपेन कर रहे हैं. वहीं मध्य प्रदेश से पूर्व विधायक कुणाल चौधरी को अहम जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा ऑब्जर्वर की भी कांग्रेस ने नियुक्ति की है. जिसमें मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य प्रियव्रत सिंह, भोपाल मध्य से विधायक आरिफ मसूद, विधायक पंकज उपाध्याय और अनुपम आचार्य को जिम्मेदारी दी गई है.
माना जा रहा है कि जल्द ही ओबीसी नेताओं की सभा और प्रचार किए जाएंगे. जिसमें अरुण यादव, सचिन यादव, जीतू पटवारी और आदिवासी वर्ग से आने वाले नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार, ओमकार सिंह मरकाम सहित कई और नेता भी नजर आएंगे. वहीं भाजपा ने भी अपना प्लान तैयार किया है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, विश्वास सारंग, अनिल फिरोजिया, पूर्व सांसद केपी यादव और कई कैबिनेट मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है. हालांकि स्थानीय क्षेत्रीय आधार पर ध्यान रखते हुए नेताओं को अलग-अलग विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी जाएगी.
रामेश्वर शर्मा बोले- हर जिम्मेदारी के लिए तैयार
बिहार चुनाव को लेकर रामेश्वर शर्मा ने कहा कि हमारा कार्यकर्ता अक्सर चुनाव के लिए तैयार रहता है. पार्टी जब भी कोई जिम्मेदारी देती है. कार्यकर्ता वहां पर अपनी भूमिका निभाने के लिए पहुंच जाता है. हम लोगों के बीच में संपर्क करते हैं. यही कारण है कि गठबंधन सरकार बिहार में नीतीश के नेतृत्व में बनेगी. वहीं कांग्रेस के नेताओं की बिहार ड्यूटी को लेकर कहा कि कांग्रेस अपना काम करें. हमें उनसे कोई लेना-देना नहीं है. इधर पूर्व मंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता पीसी शर्मा ने कहा कि पार्टी जहां भी जिम्मेदारी देगी. हम वहां चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे. राहुल गांधी बिहार में बड़ी सभाएं कर रहे हैं. भीड़ देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार का माहौल क्या है. उन्होंने कहा पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं चुनाव प्रचार के लिए जाऊंगा. इससे पहले महाराष्ट्र में जिम्मेदारी दी गई थी. वहां पर भी चुनाव प्रचार के लिए गया हुआ था.
जाति समीकरण को साधने की जरूरत
बीजेपी, कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं के बिहार दौरे को लेकर वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता का कहना है कि दोनों ही दल जाति समीकरण को साधने की कोशिश करते हैं. यही कारण है कि नेताओं की चुनाव में ड्यूटी लगती है. वैसे तो वहां पर यादव बाहुल्य संख्या ज्यादा है. इस हिसाब से ओबीसी नेताओं को ज्यादा सभा में लगाया जाता है. नए समीकरण को तैयार करने के लिए नेता वहां पर रोड शो और चुनाव प्रचार करते हैं. इससे यह स्पष्ट नहीं होता है कि उनका प्रभाव कितना पड़ेगा. यह स्थिति लोकसभा चुनाव में देखने के लिए मिल चुकी है. अब बिहार चुनाव में क्या समीकरण बनते हैं, यह भी आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा.
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वोट चोरी के मुद्दे ने दिया माइलेज!
बिहार इलेक्शन में एक तरफ राहुल गांधी ने वोट चोरी का मुद्दा एसआईआर के जरिए छेड़ा है. जिसने कांग्रेस को भारी माइलेज दिया है. इधर बिहार में महिलाओं को 10 हजार रुपये महीना और कई अहम योजनाओं के सहारे एक बार फिर नीतीश बिहार में सरकार बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं. वहीं यह चुनौती नीतीश के लिए भी आसान नहीं है. लालू यादव भी पूरी जोर आजमाइश में एक बार फिर बिहार में सरकार बनाने की कोशिश में लगे हैं. अब देखना दिलचस्प है कि बीजेपी और नीतीश के बीच में कोऑर्डिनेशन कितना मजबूत होता है.
