MP News: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया है, जो भारत के शिक्षकों के लिए बड़ा बदलाव लाया है. कोर्ट ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य कर दिया है, जिससे देश भर के शिक्षकों, खासकर मध्य प्रदेश के करीब 1.5 लाख शिक्षकों के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है. इस आदेश के मुताबिक जिन शिक्षकों की नौकरी पांच साल से ज्यादा बची है, उन्हें दो साल में TET पास करना होगा. ऐसा नहीं करने पर उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा और कुछ मामलों में नौकरी भी जा सकती है. यह नियम 2018 के बाद भर्ती हुए शिक्षकों पर लागू होगा.
खतरे में 1.5 लाख शिक्षकों की नौकरी!
मध्य प्रदेश में इस फैसले का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा. लाखों शिक्षकों को अब TET देना होगा, जिसमें अनुभवी शिक्षकों के लिए भी यह चुनौतीपूर्ण है, जिन्होंने पहले कभी यह परीक्षा नहीं दी. ऐसे में प्रदेश के 1.5 लाख शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है.
क्या है TET का मकसद?
इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना है. विशेषज्ञों का मानना है कि TET से योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक सुनिश्चित होंगे, जो स्कूल शिक्षा को मजबूत करेगा.
RTE पर सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून के तहत अल्पसंख्यक स्कूलों को दी गई छूट भी खत्म कर दी है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सभी शिक्षण संस्थानों को एक समान मानक अपनाना होगा, ताकि बच्चों का शिक्षा का अधिकार सर्वोच्च रहे.
शिक्षकों की चिंता
वहीं, शिक्षक संगठनों ने इस फैसले पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि यह बच्चों की शिक्षा और शिक्षकों के लिए मुश्किल हो सकता है. उन्होंने सरकार से विशेष प्रशिक्षण और कोचिंग की मांग की है.
परीक्षा में असफल होने पर
जो शिक्षक TET पास नहीं करेंगे, उन्हें अनिवार्य रिटायरमेंट या इस्तीफा देना पड़ सकता है. यह स्थिति उनके लिए तनावपूर्ण है. खासकर उन शिक्षकों के लिए जिन्होंने बिना TET के सालों तक बच्चों को पढ़ाया है.
कुछ शिक्षकों को राहत
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राहत भी दी है. जिन शिक्षकों की नौकरी में पांच साल से कम बचे हैं, उन्हें राहत दी गई है, लेकिन प्रमोशन के लिए उन्हें भी TET पास करना होगा. नहीं तो प्रमोशन नहीं मिलेगा.
