MP News: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले न्यू जॉइनिंग टोली ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया. अब चुनाव के बाद भाजपा में दलबदलुओं का भविष्य होगा. नतीजे के बाद निगम मंडल में एडजस्टमेंट और संगठन में उनकी भूमिका तय की जाएगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक और पूर्व सांसदों को बीजेपी में जगह देने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है. हालांकि कांग्रेस के पूर्व नेताओं को ज्यादा तवज्जो देने से बीजेपी की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
लंबे अरसे से बीजेपी के साथ जुड़े रहे और संगठन के लिए काम करने वाले नेताओं में नाराजगी पैदा होने के आसार हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी के कई विधायक और पूर्व मंत्री ज्यादा पूर्व कांग्रेस नेताओं को तवज्जो देने से खफा चल रहे हैं. अभी तक सिर्फ पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को ही भाजपा ने सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी है. लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें स्टार प्रचारक तक बना दिया. हालांकि उनके समर्थकों को कोई जिम्मेदारी बीजेपी ने नहीं दी. इंदौर से संजय शुक्ला सहित कई नेताओं को उनके क्षेत्र में ही बीजेपी की तरफ से कोई कामकाज नहीं दिया. ऐसे ही कई बड़े और नेता हैं, जो बीजेपी में जरूर शामिल हो गए लेकिन पार्टी के लिए अभी अछूते हैं.
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अंतिम चरण के चुनाव के बाद होगी भाजपा में समीक्षा
बीजेपी के जुड़े नेताओं की माने तो अंतिम चरण के चुनाव से फ्री होने के बाद नेताओं की सक्रियता को लेकर चर्चा होगी. जिसके आधार पर चुनावी जिम्मेदारी उठाने वाले नेताओं के कामकाज का आकलन किया जाएगा. साथ ही पार्टी में यह भी पता लगाया जाएगा कि पिछले चुनाव की तुलना में महिलाओं का प्रतिशत कैसा रहा और यदि कम हुआ तो उसकी वजह क्या होगी. क्योंकि सरकार महिलाओं के लिए कई बड़ी योजनाएं चल रही है. इसके बाद भी आखिर वोट प्रतिशत में गिरावट क्यों आई, समीक्षा जरूर की जाएगी.
फेर बदल हुआ तो शाह की चेतावनी का भी दिखेगा असर
दरअसल, चुनावी दौरे में जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश में बैठक की थी. उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि जिन मंत्रियों के क्षेत्र में मतदान काम होगा. उनका पद चला जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि उन विधायक को मंत्री बनाया जाएगा. जिनके क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा. कहा जा रहा है कि अमित शाह की इस चेतावनी का असर भी लोकसभा चुनाव के परिणाम की बाद दिखाई दे सकता है. अगर फिर बदला हुआ तो कई मंत्रियों के पद चले जाएंगे और कई विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है.