Vistaar NEWS

MP News: बड़वानी का कुकरा राजघाट नर्मदा नदी के बेक वाटर से बना टापू, 17 परिवार अब भी यहीं रहने को मजबूर

Kukra Rajghat has today been transformed into the shape of an island.

कुकरा राजघाट आज टापू की शक्ल में तब्दील हो चुका है.

MP News: बड़वानी का कुकरा राजघाट का अपना अलग महत्व है, महात्मा गांधी की अस्थियां इसी कुकरा राजघाट पर लाई गई थी, क्योंकि नर्मदा किनारे यह गांव बसा हुआ है, यही वजह है रोज़ यहां श्रद्धालु पूजा करने आते है. लेकिन अब यह कुकरा घाट को उजड़ हुआ  है. इसका कारण सरदार सरोवर बांध को बताया जाता है.

17 परिवार अब भी यहीं बिता रहे जिंदगी

सरदार सरोवर बांध बनने के कारण यह कुकरा राजघाट डूब क्षेत्र में परिवर्तित हो गया है, ऐसे में इस गांव में 265 परिवार रहा करते थे, लेकिन अब यह पूरा विरान हो चुका है, उन 265 परिवारों में किसी को मुआवजा मिला है किसी को नही मिल पाया है,
यही वजह है की इस कुकरा राजघाट पर आज भी 17 परिवार अपनी जिंदगी बिता रहे है, आज भी यह लोग अपना घर अपना खेत खलिहान नही छोड़ रहे है, क्योंकि इन 17 परिवार का कहना है हमे आज तक मुआवजा नहीं मिला है.

जब बारिश का मौसम आता है बांध में पानी रोककर रखा जाता है, कुकरा राजघाट टापू बन जाता है और बड़वानी शहर से इनका संपर्क टूट जाता है, चारों तरफ पानी ही पानी होता है, कई बार हादसे भी होते है, इसी बीच एक साल पहले नाव में करंट लगने से दो लोगों की मौत भी हो गई थी.

ये भी पढे़ं: Rewa में तालाब में तब्दील हुआ सीएम राइज स्कूल, छात्रों से लेकर शिक्षक तक परेशान, कैसे अत्याधुनिक बनेंगे ये विद्यालय

घाट में रहने वालों का कहना- नहीं मिला मुआवजा

नर्मदा तट पर स्थित कुकरा राजघाट आज टापू की शक्ल में तब्दील हो चुका है, सरकार ने इसे सरदार सरोवर बांध बनने के कारण डूब क्षेत्र घोषित कर दिया है, ऐसे में जो डूब प्रभावित लोग है वो आज भी इस जगह को इसलिए नही छोड़ पा रहे है. क्योंकि उनका कहना है सरकार ने हमे सही मुआवजा नहीं दिया, जो हमारी उपजाऊ खेती की जमीन थी वो नर्मदा में डूब चुकी है, और जो सरकार ने हमे गुजरात में जमीन दी है, समुद्री किनारे की खारी जमीन है जिस पर खेती नही की जा सकती वो जमीन कोई काम की नही है. ऐसे में जब बरसात नही होती है तब हम वही डूबी हुई जमीन पर खेती करते है, और यही रहते है, और आज तक हमे सरकार ने कोई मुआवजा नहीं दिया, ऐसे में हमारी मांग है की सरकार हमारा सम्पूर्ण पुनर्वास हो तब तक हम ऐसे ही जीवन बिताएंगे.

Exit mobile version