भोपाल: 11 मार्च 2024 के दिन शाम को 6 बजे के नागरिकता संशोधन अधिनियम के सब नियम के बारे में सूचना जारी कर दी गई. जिसके बाद से अब CCA यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम देशभर में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है.कुछ अब समुदाय इसका विरोध भी कर रहे है. तो कुछ इसे वरदान बता रहे. दरअसल इस अधिनियम के लागू होने से वर्ष 2014 के पहले देश में बसे हुए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. आइये जानते हैं इस कानून के बारे में कुछ खास बातें.
क्या है सीएए ?
सीएए (Citizenship Amendment Act) यानी की नागरिकता संशोधन अधिनियम. इस कानून के तहत तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हुए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी. दिसंबर 2014 से पहले भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई को नागरिकता दी जाएगी. इस अधिनियम को 11 दिसंबर 2019 को भारतीय संसद में पारित किया गया था. 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस विधेयक की मंजूरी दी थी.
इस कानून का विरोध सबसे ज्यादा मुसलमान समुदाय के द्वारा किया जा रहा है. उनके मुताबिक इस कानून में मुसलमानों को भी शामिल किया जाना चाहिए. इस विधेयक में मुसलमानों लिए कुछ न होने से उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है. वहीं सरकार का मानना है कि CAA केवल मुस्लिम-बहुल देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है. साथ ही सरकार का ये भी तर्क है कि इन देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में वो किस प्रकार प्रताड़ित हो रहे. इसीलिए यहां पर प्रताड़ित होकर आने वाले अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता दी जानी चाहिए.
कानून किसी कीमत पर वापस होगा: केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह
पश्चिम बंगाल सरकार इस कानून को झूठ बता रही. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी इस नियम को लागू के समय को लेकर सवाल उठाए है. सीएए को लेकर विपक्ष भी सवाल पूछ रहा है. इस पर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपना पक्ष साफ करते हुए नजर आए. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए शाह ने इस अधिनियम का एन.आर. सी (National Register of Citizens ) से कोई संबंध नहीं बताया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा की ये कानून कभी भी वापस नहीं लिया जाएगा. ये शरणार्थियों के न्याय का मुद्दा है.
पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति काफी दयनीय: जिया राम (शरणार्थी)
विस्तार न्यूज की टीम की मुलाकात भोपाल के ईदगाह हिल्स में रहने वाले जिया राम से हुई. जिया राम ने 2010 मे पूरे परिवार के साथ पाकिस्तान से आ कर भोपाल मे शरण ली. पाकिस्तान में उनके परिवार ने काफी मुश्किलें झेलीं है. देर रात तक बाहर रहना उनके लिए संभव नहीं हो पाता था. वो वहाँ सुरक्षित महसूस नहीं करते थे. उन्होनें वहाँ मंदिरों को टूटते हुए देखा है. वहाँ महिलाएं बिना बुरखे के कभी बाहर नहीं निकाल पाते थी. साथ ही ये भी बताया की पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति काफी दयनीय है.
2019 में पारित होने के बाद भी भोपाल में रह रहे शरणयार्थियों को अब तक नागरिकता नहीं मिल पाई है.अधिनियम मे लागू होने से शरणार्थियों में उम्मीदें बढ़ गई है.