भोपाल: मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति मार्डन सीएम राइज स्कूल में पैदा हो गई है. स्कूलों में छात्रों का साल खत्म होने के बाद भी ड्रेस नहीं मिला है. हजारों बच्चों को सहायता समूहों के जरिए ड्रेस नहीं दिए गए हैं. स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी कलेक्टरों को पत्र जारी करते हुए कहा है कि 31 मार्च तक बजट के तहत राशि जारी की जाए. 25 जिलों के स्कूलों में स्मार्ट क्लास तैयार किया जा चुका है लेकिन प्राइवेट कंपनियों को भुगतान नहीं किया गया है.
पिछले कई महीनों से निजी कंपनियों ने भुगतान के संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र में शिकायत की हैं. फिर भी कलेक्टरों के ओर से फंड जारी नहीं किया गया है. इस मामले में कंपनियों को भुगतान करने के लिए कलेक्टरों को निर्देश गए हैं. राज्य शिक्षा केंद्र ने कहा कि है भुगतान नहीं होने से बजट लैप्स हो जाएगा. इसलिए जल्द से जल्द भुगतान किया जाए.
राज्य शिक्षा केंद्र ने सीएजी की आपत्ति को लेकर प्रोफेशनल टैक्स जमा करने के लिए कहा है. सीएजी ने कहा कि हजारों शिक्षकों का प्रोफेशनल टैक्स जमा नहीं किया गया है. इंदौर, सागर, ग्वालियर, भोपाल, धार, भिंड और अन्य जिलों में स्कूल प्रोफाइल चाइल्ड प्रोफाइल का काम पूरा नहीं हुआ है. दतिया, धार निवाड़ी, छिंदवाड़ा, सतना, रीवा, सिंगरौली, बैतूल, अनूपपुर और अन्य जिलों में छात्रों को गणेश नहीं मिला है. 11 सीएम राइस और आवासीय स्कूलों में भी ड्रेस नहीं दिया गया है.
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बिजली के बिल का नहीं हुआ भुगतान गर्मी में बैठ रहे छात्र
स्कूल शिक्षा विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द बिजली के बिल का भुगतान किया जाए राज्य शिक्षा केंद्र ने कहा कि अलीराजपुर, सतना, धार, विदिशा, ग्वालियर में बिल का भुगतान नहीं किया गया. जिसकी वजह से छात्रों को गर्मी के मौसम में बिना बिजली के ही बैठना पड़ रहा है. इसके अलावा फाइनेंस कंट्रोलर ने कहा कि झाबुआ सीधी डिंडोरी कटनी शिवपुरी और अन्य जिलों में 2015 से हाई पावर कमेटी के निर्देश के बाद भी टीडीएस और अन्य भुगतान की आपत्ति का निराकरण नहीं किया गया है.
डेस्क,कुर्सी की गुणवत्ता की होगी जांच
पिछले साल स्कूलों में करोड़ों रुपए की लागत से फर्नीचर की खरीदी गई थी लेकिन भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ था. हालांकि स्कूल शिक्षा विभाग जांच कर रहा है. साल 2023-24 में भी डेस्क, कुर्सी की खरीदी हुई है, इसके साथ ही लघु उद्योग की ओर से सप्लाई की जांच करने के लिए कहा गया है. सभी स्कूलों को प्राचार्यों को निर्देश दिए हैं कि वो फिजिकल वेरिफिकेशन करेंगे. जिससे गुणवत्ता की जांच बेहतर हो सके.