Bhopal: मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने 25 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. तीन सीटों पर पिछले कई दिनों से उम्मीदवारों के नाम को लेकर चर्चा हो रही थी. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से तीनों सीटों पर प्रत्याशियों के नाम पर सहमति बन गई है. मुरैना, ग्वालियर और खंडवा सीट पर जल्द ही प्रत्याशियों के नाम के ऐलान किए जाएंगे.
खास बात है कि मुरैना से पंकज उपाध्याय की बजाय सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू के नाम पर मुहर लगी है. सत्यपाल सिंह पहले बीजेपी विधायक की रह चुके हैं लेकिन विवाद के चलते उन्हें पार्टी ने निष्कासित कर दिया था. इसके बाद कांग्रेस ज्वाइन की थी. सत्यपाल के भाई सतीश सिकरवार भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं. साथ ही कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के करीबी भी माने जाते हैं. हालांकि पंकज उपाध्याय को टिकट दिए जाने को लेकर खुलकर जीतू पटवारी ने समर्थन किया था. सत्यपाल सिंह सिकरवार के नाम पर पार्टी के सीनियर नेताओं ने इसलिए सहमति जताई क्योंकि मुरैना से बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर को टिकट दिया गया. इस लोकसभा सीट पर जाति समीकरण को देखते हुए कांग्रेस ने उम्मीदवार के नाम पर फैसला किया है. हालांकि आधिकारिक ऐलान होना बाकी है लेकिन सतपाल को टिकट कांग्रेस देने जा रही है.
वही ग्वालियर से बीजेपी ने भरत सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है. भाजपा सरकार में भरत सिंह कुशवाहा मंत्री भी रह चुके हैं. सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का टिकट काटकर कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने ग्वालियर से पूर्व विधायक गए प्रवीण पाठक को टिकट देने पर फैसला किया है. प्रवीण साल 2023 के विधानसभा में भी चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें हार मिली थी. पार्टी ने मजबूत उम्मीदवार देखते हुए प्रवीण पाठक को टिकट देने पर सहमति जताई है.
अरुण की बजाय सुनीता को मिलेगा टिकट
पिछले दो लोकसभा चुनाव में खंडवा सीट से अरुण यादव को प्रत्याशी कांग्रेस ने बनाया था. यादव दोनों ही लोकसभा चुनाव हार चुके हैं. उन्होंने खंडवा के बजाय गुना से टिकट देने के लिए हाई कमान से गुहार लगाई थी लेकिन गुना के जाति समीकरण को देखते हुए यादवेंद्र यादव को टिकट दिया है. अशोकनगर मुंगावली क्षेत्र में यादव का राजनीतिक रसूख है. इस हिसाब से ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने यादव को उम्मीदवार बनाया. खंडवा से फिर से अरुण यादव को टिकट देने की कवच चल रही थी लेकिन उन्होंने खुद ही इनकार कर दिया पार्टी ने अरुण यादव से दो नाम मांगे थे लेकिन एक नाम पर विरोध होने के चलते पूर्व सांसद की बहू को टिकट देने पर फैसला हो गया है. 1980 के दशक में सांसद रहे कालीचरण सरकगाये की बहू सुनीता सकरगाये को टिकट दिया जाएगा.
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मुरैना और ग्वालियर में क्यों फंसा था पेंच
कांग्रेस ग्वालियर और मुरैना दोनों ही लोकसभा सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने पर फैसला कर रही थी लेकिन जाति समीकरण को देखते हुए प्रवीण पाठक को ग्वालियर से टिकट देने पर सहमति बनी. वहीं मुरैना के सुमावली में सत्यपाल सिंह का भी दबदबा है. दोनों ही लोकसभा सीटों पर अगर ब्राह्मण चेहरा उतरा जाता तो एक वर्ग नाराज हो जाता. इससे पहले चर्चा यह भी थी कि मुरैना में ओबीसी कार्ड को भी कांग्रेस खेल सकती है लेकिन मजबूत उम्मीदवार के तौर पर सत्यपाल सिंह सिकरवार के नाम पर मुहर लगी. क्योंकि बीजेपी ने भी शिवमंगल सिंह तोमर को टिकट दिया है.